गुवाहाटी, 13 फरवरी । असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने आराेप लगाया कि वर्ष 2015 में भारत में तत्कालीन पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा के लिए एक सांसद को उनकी स्टार्टअप ‘पॉलिसी फॉर यूथ’ को नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग में चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। यह जो रहस्य के घेरे में है।

मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने यह बात गुरुवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कही। मुख्यमंत्री का इशारा कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई तथा उनकी पत्नी की ओर था। उन्होंने कहा कि उस समय यह सांसद विदेशी मामलों की संसदीय समिति के सदस्य भी नहीं थे, जिससे इस विशेष आमंत्रण के पीछे की मंशा का कोई सकारात्मक मतलब निकले। खासकर, जब भारत ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े मुद्दों पर पाकिस्तानी उच्चायुक्त के हस्तक्षेप का औपचारिक रूप से विरोध किया था, फिर भी यह बैठक तय की गई।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस चिंता को नजरअंदाज करते हुए सांसद ने 50-60 भारतीय युवाओं के साथ पाकिस्तानी अधिकारी से मुलाकात की।

इसके कुछ समय बाद, उनकी स्टार्टअप ने ‘द हिंदू’ में एक लेख प्रकाशित कर सीमा सुरक्षा बल की भूमिका की आलोचना की, जिसमें बांग्लादेशी घुसपैठ को नियंत्रित करने की उसकी नीति पर सवाल उठाए गए। उनके संसदीय प्रश्नों की गहन जांच करने पर यह भी सामने आया कि वे कोस्ट गार्ड के रडार सिस्टम, भारत के हथियार कारखानों, वायु रक्षा प्रणाली, ईरान के साथ व्यापारिक ट्रांजिट मार्ग, कश्मीरी छात्रों और चर्चों पर हमलों के आरोपों जैसे संवेदनशील रक्षा मुद्दों पर विशेष रुचि दिखा रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटनाक्रम सांसद की रुचि के विषयों में उल्लेखनीय बदलाव को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन घटनाओं और उनकी समय-सीमा ने सांसद के राजनीतिक रुख और गतिविधियों को संदेह के घेरे में ला दिया है।

गौरव गोगोई ने एक ‘प्रोफेशनल बैकग्राउंड’ वाली ब्रिटिश नागरिक से विवाह किया था। विवाह से पहले उनकी पत्नी ने एक अमेरिकी सीनेटर के लिए काम किया था, जो पाकिस्तानी संस्थानों से निकट संबंध रखता था और बाद में पाकिस्तान में समय बिताया। वह एक ऐसे संगठन से जुड़ी थीं, जिसे व्यापक रूप से आईएसआई का फ्रंट माना जाता है।