गुज्जर-बकरवाल समुदाय को पहले की तरह 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा

जम्मू, 09 फरवरी। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को पहली बार अनुसूचित जनजाति संवर्ग में दस फीसदी आरक्षण मिलेगा। इससे संबंधित एक बिल विधानसभा में पारित किया गया है लेकिन इससे अनुसूचित जनजाति में पहले से शामिल गुज्जर-बकरवाल समुदाय के आरक्षण पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें पहले की तरह 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा। उनके हक का एक प्रतिशत हिस्सा भी नहीं कटेगा।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को राजभवन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पहाड़ी समुदाय की 12 लाख की आबादी को नौकरी, शिक्षा के साथ ही अब राजनीतिक आरक्षण भी मिलने लगेगा। इन इलाकों का भी विकास ट्राइबल प्लान के तहत होगा लेकिन इससे पहले से अनुसूचित जनजाति में शामिल गुज्जर-बकरवाल समुदाय के आरक्षण पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने राजौरी व बारामूला की रैली में पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा देने का भरोसा दिलाया था। साथ ही गुज्जर-बकरवालों को आश्वस्त किया था कि उनके आरक्षण में किसी प्रकार की कटौती नहीं होगी। संसद से पहाड़ी समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने का बिल पास होने के बाद भी यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के हिसाब से आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा।

उपराज्यपाल ने गुज्जर-बकरवालों के लिए पिछले चार साल में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद ही वास्तविक रूप से गुज्जरों-बकरवालों को आरक्षण तथा अन्य लाभ मिलना शुरू हुआ है। पहली बार वन अधिकार अधिनियम प्रदेश में लागू किया गया और जनजातीय समुदाय के लोगों को वनाधिकार सौंपे गए। 2019 से पहले सीजनल अध्यापकों को चार हजार रुपये मिलते थे, जिसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया गया। इसके अलावा जनजातीय समुदाय के लिए ट्रांजिट आवास की सुविधा मुहैया कराई गई।

उन्होंने बताया कि पहाड़ों पर भी रहने वाले गुज्जर-बकरवालों के लिए मोबाइल अस्पताल की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। जनजातीय समुदाय की 500 से ज्यादा आबादी वाले गांवों या आधी आबादी वाले गांवों को प्रधानमंत्री आदर्श गांव के तहत एक करोड़ रुपये दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद से इनके लिए 26 हॉस्टल बनाए गए थे लेकिन पिछले चार साल में आठ हॉस्टल बनकर तैयार हो चुके हैं। साथ ही 25 का शिलान्यास कर दिया गया है। इसी प्रकार 33 हॉस्टल और मिल जाएंगे। 200 स्मार्ट क्लास तैयार हो गए हैं। छात्रवृत्ति दोगुना कर दी गई है। छह एकलव्य स्कूल शुरू कर दिए गए हैं। दो हजार जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार से जोड़ा गया है।

उप राज्यपाल ने कहा कि डिजिटल लिटरेसी के माध्यम से पहली बार जनजातीय छात्रों को लैपटॉप तथा टैबलेट उपलब्ध कराए गए हैं। 92 गांवों में हर घर तक बिजली पहुंचाई गई है। मोबाइल वेटनरी क्लीनिक खोले गए हैं। युवाओं को नीट, जेईई, पीएससी की कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अब तो न्यायपालिका के लिए उन्हें कोचिंग दी जा रही है। उन्होंने दावा किया कि चार साल में गुज्जर बकरवालों के लिए जितना काम हुआ है उतना 76 साल में नहीं हो पाया है।