घरेलू शेयर बाजार के इतिहास में एफआईआई की तीसरी सबसे अधिक बिकवाली

नई दिल्ली, 28 जनवरी। घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने जनवरी माह में सबसे अधिक बिकवाली की है। यानी इसके पहले किसी भी साल जनवरी के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इतने बड़े पैमाने पर बिकवाली नहीं की है। पिछले सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी 24 जनवरी तक विदेशी संस्थागत निवेशक 7.8 बिलियन डॉलर यानी करीब 67 हजार करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके थे।

मौजूदा सप्ताह का कारोबारी आंकड़ा आना अभी बाकी है। ऐसे में अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली इस सप्ताह भी लगातार जारी रही, तो एफआईआई का महीने भर में की गई कुल बिकवाली का आंकड़ा और अधिक होने पर घरेलू शेयर बाजार के इतिहास में सबसे खराब महीने के रूप में अपना नाम दर्ज करा सकता है। घरेलू शेयर बाजार के इतिहास अभी तक इसके पहले सिर्फ दो मौके पर ही इससे अधिक बिकवाली हुई है। सबसे अधिक बिकवाली मार्च, 2020 में 8.4 बिलियन डॉलर की हुई थी, जबकि अक्टूबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने 11.2 बिलियन डॉलर की बिकवाली की थी। इस महीने पहले 3 सप्ताह में ही विदेशी निवेशक 7.8 बिलियन डॉलर की बिकवाली कर चुके हैं।

जनवरी के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सबसे अधिक बिकवाली फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों में की है। इस सेक्टर में विदेशी निवेशकों ने 1.41 बिलियन डॉलर के शेयर बेचे हैं। इसी तरह कंज्यूमर सर्विस सेक्टर में 40.53 करोड़ डॉलर, पावर सेक्टर में 36 करोड़ डॉलर और कैपिटल गुड्स सेक्टर में 30.31 करोड़ डॉलर की बिकवाली विदेशी निवेशकों द्वारा की गई है। इन चुनिंदा सेक्टर्स के अलावा ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन, मेटल और आईटी सेक्टर में भी विदेशी निवेशक खुलकर बिकवाली की है। डिपॉजिटरी के मुताबिक मेटल, आईटी, ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन सेक्टर के करीब 20 करोड़ डॉलर के शेयर अभी तक विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बेचे जा चुके हैं।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार फिलहाल जियो-पॉलिटिकल टेंशन, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती, घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे और ऊंची ब्याज दरों की वजह से कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि शेयर बाजार को अमेरिका की ओर से टैरिफ वॉर शुरू किए जाने की भी आशंका है। इसके साथ ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों की वजह से बाजार में अनिश्चित का माहौल भी बना है, जिसका प्रत्यक्ष असर शेयर बाजार के कामकाज पर नजर आ रहा है। खासकर, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारत जैसे तमाम विकासशील देशों के शेयर बाजार से अपने पैसे की निकासी शुरू कर दी है।

विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का असर शेयर बाजार के दोनों प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी के परफॉर्मेंस में भी नजर आ रहा है। ये दोनों सूचकांक इस महीने अभी तक 3.5% से अधिक की गिरावट का शिकार हो चुके हैं। बेंचमार्क इंडेक्स के साथ ही स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में भी जोरदार गिरावट दर्ज की गई है। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 9% से अधिक लुढ़क चुके हैं। बाजार की चाल के संबंध खुराना सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ रवि चंदर खुराना का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन के कारण भी बिकवाली का दबाव बना हुआ है। खुराना का कहना है कि यूएस बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में जैसे-जैसे स्थिरता आएगी, वैसे-वैसे घरेलू शेयर बाजार की वैल्यूएशन में भी सुधार होगा। इससे शेयर बाजार में हो रही बिकवाली पर भी रोक लगेगी और लगातार जारी गिरावट का सिलसिला भी थमेगा।