कोलकाता, 27 अगस्त।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया है कि जो दुर्गा पूजा समितियां खर्च का पूरा ब्यौरा नहीं देंगी, उन्हें सरकारी अनुदान नहीं मिलेगा। बुधवार को न्यायमूर्ति सुजॉय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास दे की खंडपीठ ने कहा कि केवल वही समितियां अनुदान पाने की पात्र होंगी, जिन्होंने निर्धारित समय सीमा के भीतर ‘यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट’ जमा किया है।

राज्य सरकार ने अदालत को जानकारी दी कि कुल 41 हजार 795 क्लबों में से केवल तीन क्लबों ने खर्च का हिसाब नहीं दिया है। ये तीनों क्लब सिलिगुड़ी के हैं। इस पर न्यायमूर्ति पाल ने टिप्पणी की कि संख्या इतनी कम है कि “उसे देखने के लिए माइक्रोस्कोप लगाना पड़ेगा।”

उल्लेखनीय है कि सोमवार की सुनवाई में अदालत ने राज्य से पूछा था कि कितनी पूजा समितियों को अनुदान दिया गया और कितनी समितियों ने खर्च का ब्यौरा नहीं दिया। साथ ही अदालत ने सवाल उठाया था कि जो समितियां हिसाब नहीं दे रही हैं, उन्हें राज्य सरकार क्यों अनुदान देती आ रही है।

दरअसल, इस मुद्दे पर पहले एक जनहित याचिका दायर हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकार जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है। याचिकाकर्ता के वकील विकासरंजन भट्टाचार्य और शमीम अहमद ने दलील दी थी कि उचित स्थानों पर खर्च करने के बजाय जनता का पैसा पूजा समितियों में बांटा जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि यह राशि ‘सेफ ड्राइव, सेव लाइफ’ जैसी अभियानों और कोविड जैसी परिस्थितियों में जनहित के कार्यों पर खर्च की जाती है।

हाईकोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था कि सरकारी अनुदान के उपयोग का पूरा विपवरण पूजा समितियों को देना अनिवार्य होगा। अब अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बिना खर्च का हिसाब दिए किसी भी समिति को भविष्य में अनुदान नहीं मिलेगा।