कोलकाता, 19 नवंबर। उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज के सात छात्रों और जूनियर डॉक्टरों के सस्पेंशन पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। मंगलवार को हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि कॉलेज प्रशासन द्वारा इन छात्रों को निलंबित करने का आदेश फिलहाल प्रभावी नहीं रहेगा। इसके साथ ही, बुधवार से ये छात्र अपनी कक्षाओं में उपस्थित हो सकेंगे और परीक्षा में भी बैठ सकेंगे।
हाल ही में ‘धमकी संस्कृति’ (थ्रेट कल्चर) के आरोपों के चलते कॉलेज प्रशासन ने इन छात्रों को सस्पेंड कर दिया था। आरोप था कि इन छात्रों ने कॉलेज में भय का माहौल बनाया। इसके आधार पर कॉलेज प्रशासन ने न केवल उन्हें सस्पेंड किया, बल्कि उनकी परीक्षा में बैठने पर भी रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सस्पेंशन का आदेश फिलहाल स्थगित रहेगा। अदालत ने निर्देश दिया कि छात्र फिलहाल कक्षा और परीक्षा के अलावा कॉलेज परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। मामले की अगली सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी।
मामले में छात्रों की ओर से अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने दलील दी कि थ्रेट कल्चर भी एक प्रकार की रैगिंग है, और कॉलेज में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एंटी-रैगिंग कमिटी होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने नेशनल मेडिकल काउंसिल के नियमों का पालन नहीं किया और छात्रों को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। दूसरी ओर, कॉलेज प्रशासन की ओर से अधिवक्ता सुमन सेनगुप्ता ने कहा कि छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले एक जांच समिति का गठन किया गया था। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही प्रशासन ने फैसला लिया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले के बाद ‘थ्रेट कल्चर’ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ था। सितंबर में आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज ने भी थ्रेट कल्चर के आरोप में 51 डॉक्टरों को निलंबित किया था। उस मामले में भी छात्रों ने हाई कोर्ट का रुख किया था, जहां अदालत ने सस्पेंशन के फैसले पर रोक लगा दी थी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उस समय जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठक में इस तरह के मामलों पर सवाल उठाए थे।
हाई कोर्ट के इस आदेश से फिलहाल उत्तरबंग मेडिकल कॉलेज के छात्रों को राहत मिली है, लेकिन मामले का अंतिम निर्णय अब भी लंबित है। आगामी सुनवाई में ही यह तय होगा कि कॉलेज प्रशासन का निर्णय पूरी तरह रद्द होगा या नहीं।