
कोलकाता, 4 जून। पश्चिम बंगाल माध्यमिक विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) की नई शिक्षक भर्ती अधिसूचना को लेकर कई याचिकाएं कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं, जिन पर गुरुवार, पांच जून को सुनवाई होने की संभावना है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह अधिसूचना उच्चतम न्यायालय के पूर्व आदेशों का उल्लंघन करती है।
डब्ल्यूबीएसएससी ने 30 मई को कुल 35 हजार 726 शिक्षकों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा 31 मई तक अधिसूचना जारी करने के निर्देश के अनुपालन में थी। अधिसूचना के अनुसार, कक्षा 9 और 10 के लिए 23 हजार 312 शिक्षक, तथा कक्षा 11 और 12 के लिए 12 हजार 514 शिक्षक नियुक्त किए जाने हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिन पहले मीडिया को बताया था कि इस प्रक्रिया के तहत अतिरिक्त 11 हजार 517 शिक्षक पद (कक्षा 9-10), 9,912 शिक्षक पद (कक्षा 11-12) और 1,571 ग्रुप-सी और डी पद भी शामिल किए गए हैं। इस तरह कुल 44 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति की जानी है, जिसे 31 दिसंबर से पहले पूरा करना होगा।
इस अधिसूचना को लेकर कई याचिकाएं मंगलवार को न्यायमूर्ति पार्थ सारथी मुखर्जी की एकल अवकाश पीठ के समक्ष दाखिल की गईं, जिन्हें अदालत ने स्वीकार कर लिया है और इन पर पहली सुनवाई गुरुवार को हो सकती है।
याचिकाकर्ता लुबाना परवीन ने आरोप लगाया है कि तीन अप्रैल को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए उस आदेश का उल्लंघन हुआ है, जिसमें 2016 के पूरे पैनल को रद्द कर दिया गया था और नई नियुक्ति प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अधिसूचना 31 मई तक जारी की जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने अदालत में दलील दी कि शीर्ष अदालत ने अनुभव के आधार पर 10 अंकों के अतिरिक्त लाभ या नए भर्ती नियमों के निर्माण की कोई अनुमति नहीं दी थी। अधिवक्ता ने बताया कि नए नियमों के अनुसार, बर्खास्त शिक्षकों को 90 अंकों की परीक्षा देनी है जबकि अन्य उम्मीदवारों को 100 अंकों की परीक्षा देनी होगी।
इसके अतिरिक्त अदालत ने उन याचिकाओं को भी स्वीकार किया है, जिनमें 2016 पैनल के शिक्षक उम्मीदवारों के लिए नए चयन परीक्षण के प्रारूप, और मुख्यमंत्री द्वारा बर्खास्त ग्रुप-सी और डी कर्मियों को मासिक भत्ता देने के फैसले को चुनौती दी गई है।
उल्लेखनीय है कि 2016 के कुल 25 हजार 752 शिक्षक और गैर-शिक्षकीय कर्मियों के पैनल को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि भ्रष्ट और ईमानदार उम्मीदवारों के बीच कोई स्पष्ट रेखा नहीं खींची जा सकती, इसलिए पूरा पैनल रद्द किया गया।
बाद में राज्य सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को आदेश दिया था कि “गैर-दागी” शिक्षक 31 दिसंबर तक सेवा में बने रह सकते हैं, लेकिन उन्हें नई चयन परीक्षा से गुजरना होगा। शीर्ष अदालत ने उम्र सीमा में छूट देने का निर्देश भी राज्य सरकार को दिया था और कहा था कि चयन प्रक्रिया 31 मई तक शुरू कर तीन महीने के भीतर पूरी की जाए।