नैनीताल, 08 नवंबर। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बार-बार अवसर और चेतावनी देने के बावजूद जवाबी हलफनामा प्रस्तुत नहीं करने तथा अदालत में पेश नहीं होने के मामले में मंसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के सचिव के खिलाफ बुधवार को जमानती वारंट जारी किया है।

मामला देहरादून के अजबुरकलां में रिहायशी कॉलोनी से जुड़ा हुआ है। इस मामले को देहरादून निवासी बनमाली प्रसाद पैन्यूली की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। प्रकरण की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पकंज पुरोहित की युगलपीठ में हुई।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि कई अवसर मिलने के बावजूद प्रतिवादी एमडीडीए की ओर से जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया जा रहा है। बुधवार को भी हलफनामा दायर नहीं किया गया है और न ही सचिव व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।

आगे कहा गया कि 27 सितंबर को पिछली सुनवाई पर भी अदालत ने एमडीडीए को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिये अंतिम अवसर प्रदान किया था तथा 15000 का अर्थदंड भी लगाया था।

साथ ही अदालत ने जवाब पेश नहीं करने की एवज में बुधवार को एमडीडीए के सचिव को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश भी दिये थे, लेकिन सचिव पेश नहीं हुए।

अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और एमडीडीए के सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया। अदालत ने एमडीडीए के अधिवक्ता के तर्कों को भी खारिज कर दिया कि सचिव अस्वस्थ चल रहे हैं।

अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जायेगा। अदालत इस मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई करेगी।