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कोलकाता, 08 नवम्बर । कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बंद पड़े महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 100 दिन के कार्यों को तुरंत शुरू करने का कड़ा निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पाल की खंडपीठ ने यह आदेश देते हुए बकाया राशि को लेकर हलफनामों के आदान-प्रदान के लिए एक महीने का समय भी दिया है।

इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से भी रुख में बदलाव देखा गया। केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि कार्य शुरू करने में अब उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

गौरतलब है कि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसी वर्ष जून महीने में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य में बंद परियोजनाओं को बहाल किया जाए। अदालत ने कहा था कि किसी भी केंद्रीय परियोजना को अनिश्चितकाल तक रोका नहीं जा सकता। इस आदेश को केंद्र ने उच्चतम न्यायालय

में चुनौती दी थी, लेकिन शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय

के फैसले को बरकरार रखा था।

बीते करीब तीन वर्षों से पश्चिम बंगाल को मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान नहीं हो रहा था। इस मुद्दे को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस कई बार केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर रही है। श्रमिकों को बकाया राशि न मिलने के विरोध में पार्टी ने प्रदर्शन किए और दिल्ली में भी लगातार मांग उठाई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर भुगतान जल्द जारी करने का आग्रह किया था।