
Kurseong: A view of the collapsed Dudia Iron Bridge connecting Mirik and Kurseong in Darjeeling district, West Bengal, on Sunday, October 5, 2025. The collapse, triggered by heavy rainfall and subsequent landslides, has severed vital road links in the region. (Photo: IANS)
कोलकाता, 07 अक्टूबर। उत्तर बंगाल के पहाड़ी, तराई और डुआर्स क्षेत्रों में बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश और बार-बार हो रहे भूस्खलन के कारण क्षेत्र का चाय उद्योग गंभीर संकट में आ गया है।
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, इस प्राकृतिक आपदा से चाय उद्योग को सौ करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की डुआर्स शाखा के सचिव राम अवतार शर्मा ने बताया कि नुकसान का विस्तृत आकलन अभी जारी है, लेकिन शुरुआती रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि नुकसान सौ करोड़ रुपये से कम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में उत्तर बंगाल के चाय उद्योग को इससे पहले कभी इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इस स्थिति से उबरने के लिए उद्योग को सरकारी सहायता की आवश्यकता है।
चाय उद्योग इस आपदा से दो स्तरों पर प्रभावित हुआ है। पहला, पहाड़ी, तराई और डुआर्स क्षेत्रों के कई बागान भारी वर्षा और भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिससे ‘टू लीव्स एंड ए बड’ अवस्था में पत्तियों की तुड़ाई पर सीधा असर पड़ा है। दूसरा, कई कारखानों और गोदामों में प्रसंस्कृत चाय की पत्तियां जलजमाव के कारण खराब हो गई हैं, जिससे उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
प्रारंभिक आकलन के अनुसार, कुल 276 चाय बागानों में से लगभग 30 बागान बाढ़ और भूस्खलन से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। इनमें सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र तराई बताया जा रहा है, जहां करीब 15 बागानों में भारी नुकसान हुआ है।
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक पदाधिकारी के अनुसार, यह केवल प्रारंभिक अनुमान हैं। प्रभावित बागानों की सटीक संख्या और वास्तविक आर्थिक नुकसान का आकलन विस्तृत सर्वेक्षण के बाद ही किया जा सकेगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन में आई भारी गिरावट और बागानों की क्षति के कारण आने वाले महीनों में चाय के दामों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।








