कोलकाता, 09 दिसंबर। पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में चक्रवात मिचौंग की वजह से लगातार छह दिन  बारिश हुई है। इसकी वजह से राज्य में धान की खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है, साथ ही आलू किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है। आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने चक्रवात के प्रभाव के बारे में किसानों को अलर्ट नहीं किया था जिसकी वजह से नुकसान और बढ़ा है।

चक्रवात के प्रभाव से कोलकाता के अलावा हावड़ा, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर तथा बर्दवान में लगातार बारिश हुई है। इनमें से आलू की खेती सबसे अधिक हावड़ा और हुगली में होती है।

यहां किसानों ने इसी तरह के आरोप लगाए हैं। दावा है कि सरकार किसानों को बेमौसम बारिश के बारे में चेतावनी देने में विफल रही, जिससे राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में आलू की फसल को नुकसान हुआ। राज्य भर के आलू किसानों को वित्तीय झटका लगा है क्योंकि पिछले तीन दिनों में बेमौसम बारिश से उनकी फसलें बर्बाद हो गईं। कृषि विभाग की चेतावनी के अभाव में वे कोई सावधानी नहीं बरत सके।

नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस मामले में कहा है कि सरकार को किसानों के बीच तेजी से विकसित होने वाले उच्च गुणवत्ता वाले आलू के बीज मुफ्त में वितरित करने चाहिए ताकि उनके नुकसान का कुछ हिस्सा पूरा हो सके।

उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारी ममता बनर्जी की जीहजूरी में व्यस्त रहते हैं इसलिए बंगाल में किसानों के बारे में सोचने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों को केंद्रीय फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल सका, क्योंकि ममता बनर्जी सरकार ने इससे बाहर निकल कर अपना फसल बीमा पेश किया था, जो शुरू ही नहीं हुआ।

तृणमूल का पलटवार

नेता प्रतिपक्ष के आरोपों पर विधानसभा में तृणमूल के उप मुख्य सचेतक तापस रॉय ने बताया कि कृषि विभाग ने किसानों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने दावा किया कि स्थिति से निपटने के लिए वह निश्चित रूप से कदम उठायेंगे क्योंकि यह सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ खड़ी है। शुभेंदु इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।