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हावड़ा, 16 दिसंबर । वेतन वंचना और सरकारी स्कूलों की समस्याओं को लेकर अब हेड मास्टरों ने राज्य सरकार को घेरने की योजना बना ली है। इसके लिए एडवांस्ड सोसाइटी फॉर हेडमास्टर और हेडमिस्ट्रेस (एएसएफएचएम) के बैनर तले 22 जिलों के प्रतिनिधियों ने हावड़ा के शरत सदन में दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।
यह सम्मलेन शनिवार को शुरू हुआ जो रविवार रात तक चला। इस सम्मेलन में रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी विद्यामितानंद ने राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने और हेडमास्टर और हेडमिस्ट्रेस के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
एएसएफएचएम के राज्य महासचिव चंदन मैती ने संगठन की मांगों को रेखांकित करते हुए संपादकीय रिपोर्ट पेश की जिसमें लंबे समय से चली आ रही वेतन विसंगतियों का समाधान करने, शिक्षकों और कर्मचारियों की पारदर्शी भर्ती, गैर-शैक्षणिक कार्यों से छूट, डब्ल्यूबीएचएस (पी एंड बी) स्वास्थ्य योजना के कार्यान्वयन, स्मार्ट कक्षाओं की शुरुआत, प्रशासनिक हस्तांतरण का उन्मूलन, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए आपसी हस्तांतरण नीति, हेडमास्टर की तत्काल नियुक्ति, स्कूलों को 100 प्रतिशत समग्र अनुदान, नियमित शैक्षणिक निरीक्षण, लोकतांत्रिक स्कूल प्रबंधन समिति, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के लिए चुनाव, स्कूलों में डेटा एंट्री ऑपरेटर्स और नाइट गार्ड और स्वीपर्स की नियुक्ति पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में हावड़ा नगर निगम के अध्यक्ष डॉ. सुजय चक्रवर्ती मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
बैठक की अध्यक्षता एएसएफएचएम के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हरिदास घटक ने की और उपाध्यक्ष बिरात बनर्जी, सुब्रत बूरा, डॉ. मीनू पाल और अंतर-जिला समन्वयक अलातफ शेख ने बैठक की अध्यक्षता की।
कार्यक्रम का समापन हावड़ा जिले एएसएफएचएम के अध्यक्ष डॉ. पंकज नस्कर द्वारा धन्यवाद के साथ हुआ।
एएसएफएचएम की ओर से प्रमोद कुमार तिवारी ने सोमवार को कहा कि हम पिछले पांच वर्षों से सरकार के सामने अपनी मांगे रख रहे हैं यदि सरकार अब हमारी मांगे नहीं मानती तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना होगा।