वाशिंगटन, 24 मई । हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विदेशी विद्यार्थियों के सपने को टूटने से फिलहाल अमेरिका की संघीय अदालत ने बचा लिया। संघीय अदालत ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन के हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की पात्रता को रद्द करने के गुरुवार के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने ट्रंप प्रशासन के फैसले के खिलाफ संघीय अदालत का दरवाजा खटखटाया। हार्वर्ड ने कहा यह कदम प्रथम संशोधन, उचित प्रक्रिया खंड और प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।

एबीसी न्यूज चैनल के अनुसार, यूएस जिला न्यायाधीश एलिसन डी. बरोज ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय को राहत देते हुए ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अस्थायी रोक लगाते हुए अगली सुनवाई मंगलवार सुबह निर्धारित की। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने शुक्रवार दोपहर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी निकाय को भेजे गए पत्र में संघीय न्यायाधीश के आदेश को “हमारे अंतरराष्ट्रीय छात्रों और विद्वानों के अधिकारों और अवसरों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम” कहा।

एबीसी न्यूज और द वाशिंगटन पोस्ट अखबार के सर्वेक्षण में अधिकांश अमेरिकियों (66 प्रतिशत ) ने इस टकराव में हार्वर्ड का पक्ष लिया। 32 प्रतिशत लोगों ने ट्रंप प्रशासन का पक्ष लिया। यह सर्वेक्षण हार्वर्ड विश्विद्यालय को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रवेश देने से रोकने के प्रशासन के कदम से पहले किया गया। सनद रहे कुछ समय से चल रहे टकराव के बाद ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की पात्रता को रद्द कर दिया था। सीएनएन चैनल की खबर में कहा गया था कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय को ट्रंप प्रशासन की नीतिगत मांगों के आगे झुकने से इनकार करने की कड़ी सजा मिली है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने कहा था, “हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता है और मौजूदा विदेशी छात्रों को स्थानांतरित होना होगा या अपनी कानूनी स्थिति खोनी होगी।”

व्हाइट हाउस ने ट्रंप प्रशासन के फैसले का बचाव करते हुए कहा था ,”विदेशी छात्रों का नामांकन एक विशेषाधिकार है। वह अधिकार नहीं है। साथ ही हार्वर्ड अपनी महानता खो चुका है। परिसर अमेरिका विरोधी, यहूदी विरोधी और आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों का अड्डा बन गया है।”

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अबीगैल जैक्सन ने बयान में कहा, ” हार्वर्ड देश के छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को बंद नहीं करा पाया है। अब उसे इस ढिलाई की कीमत तो चुकानी ही होगी।”

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने ट्रंप प्रशासन की तीखी आलोचना की थी। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता जेसन न्यूटन ने फैसले को गैरकानूनी बताया था। उन्होंने बयान में कहा था कि विश्वविद्यालय 140 से अधिक देशों से आने वाले छात्रों और विद्वानों की मेजबानी करने के लिए प्रतिबद्ध है। ट्रंप प्रशासन की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई हार्वर्ड समुदाय और अमेरिका को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि इस समय विश्वविद्यालय में 9,970 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं। 2024-25 शैक्षणिक वर्ष में 6,793 अंतरराष्ट्रीय छात्रों का नामांकन हुआ है।