घबराने की जरूरत नहीं- स्वास्थ्य विभाग

कोलकाता, 30 जनवरी। पश्चिम बंगाल में दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी ‘गुलेन बैरे सिंड्रोम’ के प्रसार की आशंका जताई जा रही है। गत चार दिन में तीन लोगों की मौत होने से घबराहट का माहौल है,  अभी यह पक्का नहीं है कि इन लोगों की मौत इसी बीमारी से हुई है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “पश्चिम बंगाल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है,  घबराने की कोई जरूरत नहीं है।” इस अधिकारी के अनुसार मृतकों में 10 वर्षीय देवकुमार साहू (जगद्दल, उत्तर 24 परगना), 17 वर्षीय अरित्र मन्ना (आमडांगा, उत्तर 24 परगना) और 48 वर्षीय एक व्यक्ति (धनियाखाली, हुगली) शामिल हैं।

देवकुमार साहू का निधन 26 जनवरी को कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल में हुआ।अरित्र मन्ना ने कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 27 जनवरी को दम तोड़ा। हुगली जिले के धनियाखाली के 48 वर्षीय व्यक्ति की बुधवार को स्थानीय अस्पताल में मौत हो गई।

पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके परिजनों की मौत गुलेन बैरे सिंड्रोम से हुई है। देवकुमार के चाचा गोविंदा साहू ने कहा, “अस्पताल ने मृत्यु प्रमाण पत्र में संदिग्ध जीबीएस का उल्लेख किया है।” इस बीच, कोलकाता के बीसी रॉय अस्पताल और इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में इलाजरत चार और बच्चे इसी बीमारी से कथित रूप से पीड़ित बताए जा रहे हैं।

वहीं राज्य स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इस बीमारी को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई नई बीमारी है और न ही दिसंबर 2023 के बाद से कोई नया मामला सामने आया है।

मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने कहा कि गुलेन बैरे सिंड्रोम न तो पश्चिम बंगाल में नया है और न ही देश में। उन्होंने बताया कि पहले भी कभी-कभी इस बीमारी के मामले सामने आते रहे हैं।

स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा कि राज्य में दिसंबर के बाद से इस बीमारी के नए मामलों की पुष्टि नहीं हुई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस दावे की पुष्टि की है। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि राज्य स्वास्थ्य विभाग की विशेष मेडिकल टीमें हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

गुलेन बैरे सिंड्रोम क्या है ?

गुलेन बैरे सिंड्रोम गंभीर इम्यूनोलॉजिकल न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। इसमें रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली नसों पर हमला करने लगती है। इससे शरीर में सुन्नपन, मांसपेशियों में कमजोरी और लकवे जैसी स्थिति पैदा होती है। प्रमुख लक्षणों में हाथ-पैरों में कमजोरी, सुन्नपन और दस्त शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार, आमतौर पर बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद यह बीमारी होती है।