कोलकाता, 02 अक्टूबर । पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के एक प्रवासी मजदूर की चेन्नई में भूख से हुई मौत को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डाक्टर सी. वी. आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री “मानव जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।”
सोमवार को चेन्नई में एक प्रवासी मजदूर की भूख से मौत हो गई। यह मजदूर पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले का रहने वाला था।
बोस ने प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की, जो जीविका की तलाश में बड़ी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “क्या यही ममता बनर्जी का गांधीजी के प्रिय ‘दरिद्र नारायण’ के प्रति ध्यान है? भगवान सबको सद्बुद्धि दें।”
दरअसल हाल के दिनों में कई प्रवासी मजदूर चेन्नई में काम की तलाश में गए थे, लेकिन उन्हें कोई रोजगार नहीं मिला। बताया गया कि ये मजदूर भूखे और बेहाल हालत में चेन्नई रेलवे स्टेशन पर पाए गए, जिनमें से कुछ बेहोशी की हालत में थे। इन पांच मजदूरों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से तीन की हालत गंभीर थी। इनमें से एक मजदूर, समर खान, की 30 सितंबर को मृत्यु हो गई।
अधिकारियों ने बताया कि समर खान का शव पूर्वी मेदिनीपुर भेजा जा रहा है, जबकि चार अन्य अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है।
राज्यपाल बोस ने कहा कि राज्य सरकार को प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के प्रति “जागरूक, संवेदनशील और उत्तरदायी” होना चाहिए। उन्होंने कहा, “बंगाल के लोगों की यही हालत है। उन्हें अपने राज्य में काम नहीं मिल रहा है, जिससे वे दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में जा रहे हैं, लेकिन वहां भी उन्हें अनाथ की तरह छोड़ दिया जाता है।”
बोस, जो उस समय केरल में थे, चेन्नई पहुंचे और अधिकारियों को अस्पतालों और आश्रय गृहों में भर्ती मजदूरों की मदद के लिए भेजा। उन्होंने मजदूरों को वित्तीय सहायता प्रदान की थी और उनके पश्चिम बंगाल लौटने के लिए ट्रेनों की व्यवस्था की थी।
प्रवासी मजदूरों की बढ़ती संख्या
पश्चिम बंगाल देश के सबसे बड़े प्रवासी मजदूरों के स्रोतों में से एक है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक अक्टूबर 2024 तक ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर राज्य के दो करोड़ 63 लाख 72 हजार 911 प्रवासी मजदूर पंजीकृत हैं। इसके अलावा, 21 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने ‘कर्मसाथी परिजयी श्रमिक’ पोर्टल में नामांकन के लिए आवेदन किया है।
2011 की जनगणना के अनुसार, पश्चिम बंगाल प्रवासी मजदूरों का चौथा सबसे बड़ा स्रोत था, जहां 2001 से 2011 के बीच लगभग पांच लाख 80 हजार लोग राज्य से बाहर गए थे।
रोजगार की कमी, बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति की उम्मीद, और जीवन स्तर में सुधार की इच्छा जैसे कारक प्रवास को प्रेरित करते हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर उन जिलों से आते हैं जहां अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी अधिक है।
खेती से घटती आय भी इस प्रवास का एक बड़ा कारण है, क्योंकि ज्यादातर प्रवासी मजदूर किसान और कृषि श्रमिक परिवारों से आते हैं।