
कोलकाता, 22 मई । पश्चिम बंगाल में बर्खास्त किए गए शिक्षकों के प्रदर्शन पर सरकार ने सख्त रवैया अपनाते हुए कई प्रदर्शनकारी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ये वे शिक्षक हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद सेवा से हटाया गया था और जो बीते कई दिनों से सॉल्टलेक स्थित राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय ‘विकास भवन’ के बाहर धरना दे रहे हैं।
पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) द्वारा जारी इन कारण बताओ नोटिसों में आरोप लगाया गया है कि 15 मई को विकास भवन परिसर में कुछ शिक्षकों ने तोड़फोड़ की और कार्यालय परिसर को देर रात तक जबरन रोके रखा। नोटिस में संबंधित शिक्षकों से सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
15 मई की देर शाम पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमें कई शिक्षकों को सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आई थीं। इस मामले में पुलिस की कथित बर्बरता को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में भी मामला पहुंचा, जहां न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ में बुधवार को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति घोष ने निर्देश दिया कि जिन शिक्षकों को पूछताछ के लिए बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट ने समन भेजा है, उन्हें सहयोग करना होगा। हालांकि उन्होंने साथ ही पुलिस को यह स्पष्ट निर्देश भी दिया कि किसी भी शिक्षक को फिलहाल गिरफ्तार या परेशान न किया जाए। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे धरने में शामिल शिक्षकों की संख्या कम करें।
प्रदर्शनकारी शिक्षकों की प्रमुख मांग है कि राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) ‘दोषी’ और ‘निर्दोष’ अभ्यर्थियों की सूची को सार्वजनिक करे, ताकि जिन लोगों ने बिना किसी अनियमितता के नौकरी प्राप्त की थी, उन्हें न्याय मिल सके।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें 25 हजार 753 शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द कर दी गई थीं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि चूंकि राज्य सरकार और आयोग ‘दोषी’ और ‘निर्दोष’ उम्मीदवारों को अलग-अलग चिन्हित नहीं कर सके, इसलिए पूरी सूची को ही रद्द करना पड़ा।