लखनऊ 28 नवंबर।  ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कोयले के आयात की स्वतंत्र जांच की मांग की है।

एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने मंगलवार को कहा कि जांच के संदर्भ में यह शामिल होना चाहिए कि कोयला आयात के मुख्य लाभार्थी कौन हैं। आयातित और भारतीय कोयले के वैज्ञानिक मिश्रण के बिना आयातित कोयले को जलाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, ताकि बॉयलर और बिजली उत्पादन में काम आने वाले  उपकरणों को नुकसान न हो। यदि कोयला आयात करने के लिये राज्य के बिजली घरों को मजबूर किया जाता है तो केंद्र सरकार को आयातित कोयले की अतिरिक्त लागत वहन करनी चाहिए ताकि इसका बोझ डिस्कॉम और आम उपभोक्ताओं पर न पड़े।

एआईपीईएफ ने कहा कि मौजूदा कोयला संकट की जिम्मेदारी पूरी तरह से केंद्र सरकार की है। कोल इंडिया का प्रबंधन केंद्र सरकार के पास है। सरकार ने कोल इंडिया को उसके नकदी भंडार से वंचित कर दिया है और अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की नियुक्ति न करने सहित विभिन्न प्रशासनिक पहलुओं में व्यवस्थित रूप से हस्तक्षेप किया है। सरकार निजी खदानों की देखरेख की अपनी जिम्मेदारी में भी विफल रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने दायित्वों को पूरा करें। केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का स्वामित्व और संचालन करती है। सरकार बंदरगाहों को नियंत्रित करती है। चूंकि नीति के सभी उपकरण सरकार के पास हैं, इसलिए कोयले के आयात की एकमात्र जिम्मेदारी उसी की है।