-इस्पात उत्पादों पर 200 दिन के लिए 12 फीसदी सुरक्षा शुल्क लगाने की सिफारिश

नई दिल्ली, 19 मार्च । केंद्र सरकार ने हाल में आयात में वृद्धि से घरेलू उद्योग को होने वाली क्षति से बचाने के लिए कुछ इस्पात उत्पादों पर 200 दिनों के लिए 12 फीसदी सुरक्षा शुल्क लगाने की सिफारिश की है।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय की जांच शाखा व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जारी एक अधिसूचना में घरेलू इस्पात उत्पादकों को आयात में वृद्धि से बचाने के उद्देश्य से कुछ इस्पात उत्पादों पर 200 दिन के लिए 12 फीसदी का अस्थायी सुरक्षा शुल्क लगाने की सिफारिश की है। अधिसूचना के मुताबिक इस शुल्‍क पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय लेगा। यह सुरक्षा शुल्क एक अस्थायी टैरिफ अवरोध है, जो घरेलू इस्पात उद्योगों को आयात में वृद्धि से बचाने के लिए लगाया जाता है।

डीजीटीआर ने 18 मार्च को जारी एक अधिसूचना में कहा है कि ऐसी गंभीर परिस्थितियां मौजूद हैं, जहां अनंतिम सुरक्षा उपायों के लिए आवेदन में किसी भी प्रकार की देरी से ऐसी क्षति होगी, जिसकी मरम्मत करना कठिन होगा। अनंतिम सुरक्षा उपायों को तत्काल लागू करने की आवश्यकता है। अधिसूचना के अनुसार प्राधिकरण विचाराधीन उत्पाद के आयात पर अंतिम निर्धारण होने तक सुरक्षा शुल्क लगाने की सिफारिश करता है।” यह 200 दिनों के लिए 12 फीसदी की दर से अनंतिम है।

उल्‍लेखनीय है कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने पिछले साल दिसंबर में फैब्रिकेशन, पाइप विनिर्माण, विनिर्माण, पूंजीगत सामान, ऑटो, ट्रैक्टर, साइकिल और इलेक्ट्रिकल पैनल सहित विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले गैर-मिश्र धातु एवं मिश्र धातु इस्पात ‘फ्लैट’ उत्पादों के आयात में अचानक वृद्धि की जांच शुरू की थी। इस जांच में निदेशालय ने प्रारंभिक रूप से पाया है कि भारत में इन उत्पादों के आयात में हाल ही में अचानक, तीव्र और महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जिससे घरेलू उद्योग/उत्पादकों को गंभीर क्षति पहुंचने का खतरा है।