पश्चिमी सिंहभूम, 15 सितंबर। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ‘विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस’ के अवसर पर सोमवार को टाटा कॉलेज में मानसिक स्वास्थ्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सिविल सर्जन डॉ सुशांतो माजी के निर्देशन में हुआ।

कार्यशाला की मुख्य वक्ता डॉ. भाग्यश्री कर (क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, सदर अस्पताल चाईबासा) ने आत्महत्या जैसे गंभीर विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जीवन बहुत अनमोल है। आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत दुखद घटना नहीं, बल्कि पूरे समाज, राज्य और देश को प्रभावित करती है।

डॉ. कर ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्व देना चाहिए। आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों में नींद न आना, भूख में कमी, अकेले रहना, चिड़चिड़ापन, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे लक्षणों की समय रहते पहचान कर किसी की जान बचाई जा सकती है।

टाटा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एससी दास ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि किसी को मानसिक परेशानी हो, तो उसे डॉक्टर, काउंसलर या क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से खुलकर बात करनी चाहिए। कार्यक्रम में करीब 200 छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

मौके पर गैर संचारी रोग (एनसीडी) के पदाधिकारी, सदर अस्पताल के कर्मचारी और मनोविज्ञान विभाग से डॉ. विशाल दीप, डॉ. नित्यानंद साह और पुनीत सहित अन्य लोग मौजूद थे।