पूर्वी सिंहभूम, 17 अक्टूबर। झारखंड की सियासत शुक्रवार को घाटशिला में केंद्रित रही, जहां घाटशिला (अजजा) विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रमुख दलों झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए।
पूर्व मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण खाली हुई इस सीट पर अब उनकी राजनीतिक विरासत को लेकर सोरेन बनाम सोरेन की सीधी टक्कर देखने को मिल रही है।
झामुमो की ओर से महागठबंधन समर्थित उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन, जो दिवंगत रामदास सोरेन के पुत्र हैं, ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी और गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, राज्य सरकार के कई मंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
नामांकन के बाद घाटशिला के दाहीगोड़ा सर्कस मैदान में एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि वे सोमेश सोरेन को भारी मतों से विजयी बनाएं ताकि विकास की गति बनी रहे।

वहीं दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन, जो पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र हैं, ने भी शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो, जदयू विधायक सरयू राय, पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस और अन्य कई नेताओं की मौजूदगी रही।
भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा, जिससे पूरा क्षेत्र चुनावी माहौल में सराबोर हो गया।
नामांकन के बाद बाबूलाल सोरेन ने कहा कि राज्य की जनता हेमंत सरकार से निराश है और घाटशिला उपचुनाव में लोग बदलाव का संदेश देंगे। उन्होंने विकास, शिक्षा, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि भाजपा इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह उपचुनाव न केवल स्थानीय समीकरणों बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा पर भी असर डाल सकता है। एक ओर झामुमो अपने परंपरागत वोट बैंक को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, वहीं भाजपा संगठन की पूरी ताकत झोंककर सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाना चाहती है।
घाटशिला उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर को और मतगणना 14 नवंबर को होगी। दोनों दलों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है, जिससे आने वाले दिनों में चुनावी सरगर्मी और बढ़ने की संभावना है।
