शस्त्र बलों को रसद प्रशिक्षण और सहयोग बढ़ाने के लिए हुआ समझौता
नई दिल्ली, 17 दिसंबर । सेना और वायु सेना के बाद अब भारतीय नौसेना ने भी रसद प्रशिक्षण और सहयोग बढ़ाने के लिए गति शक्ति विश्वविद्यालय (जीएसवी) के साथ मंगलवार को नई दिल्ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। वडोदरा के गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ इस एमओयू के तहत नौसेना को रसद क्षमता में उच्च विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। गति शक्ति विश्वविद्यालय अत्याधुनिक रसद शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के साथ सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में काम करेगा।
इस समझौता ज्ञापन पर नौसेना के रसद नियंत्रक (सीओएल) वाइस एडमिरल दीपक कपूर और जीएसवी के कुलपति प्रोफेसर मनोज चौधरी ने हस्ताक्षर किए हैं। सहयोग की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए वाइस एडमिरल कपूर ने कहा कि जीएसवी उन्नत कौशल, मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी समझ, अत्याधुनिक रसद शिक्षा और वास्तविक दुनिया की अंतर्दृष्टि के साथ नौसेना को सशक्त बनाने में काम करेगा, जबकि जीएसवी को भारतीय नौसेना के व्यावहारिक परिचालन अनुभवों से लाभ होगा।
भारतीय सेना और वायु सेना को रसद क्षमता में उच्च विशेषज्ञता हासिल करने के लिए इसी साल 09 सितम्बर को नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में वडोदरा के गति शक्ति विश्वविद्यालय के साथ समझौता हुआ था। उस समय रक्षा मंत्री ने इस एमओयू को रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ के दृष्टिकोण के अनुरूप सशस्त्र बलों की रसद रीढ़ को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण साझेदारी बताया था।
दरअसल, कुशल रसद प्रणाली सशस्त्र बलों को तेजी से जुटाने और कम समय में सही जगह पर संसाधन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी सेनाएं जिन विपरीत परिस्थितियों में काम करती हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए सैनिकों और उनके उपकरणों की आपूर्ति में निर्बाध आवाजाही की जरूरत है। हमारी सेनाओं की जरूरतों को कैसे पूरा किया जा सकता है, इस संदर्भ में यह समझौता ज्ञापन बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह समझौता रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सरकार के दृष्टिकोण को हासिल करने में लाभकारी सिद्ध होगा।
सरकार का मानना है कि सशस्त्र बलों को रसद में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए गति शक्ति विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों प्रशिक्षण हासिल करने की जरूरत है। यदि हमें इसके लिए उपकरणों की आवश्यकता है, तो हमें उन्हें भारत में ही निर्मित करवाना चाहिए। एक मजबूत भारत की नींव केवल आत्मनिर्भर बनकर ही रखी जा सकती है। गति शक्ति विश्वविद्यालय सशस्त्र बलों को प्रबंधन और परिचालन अनुभव के माध्यम से रसद विशेषज्ञों और प्रबंधकों की एक नई पीढ़ी को आकार देने में मदद करेगा, जो आधुनिक युद्ध की गतिशील जरूरतों को पूरा करेंगे। —