अष्टकोशी परिक्रमा का होगा पुनरुद्धार

चंडीगढ़, 6 जुलाई । धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र को नई पहचान दिलाने की कवायद में लगी प्रदेश सरकार ने यहां गीता के 18 अध्यायों पर आधारित द्वार बनवाने का फैसला किया है। इसके अलावा गीता के प्रति श्रद्धालुओं व पर्यटकों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए गीता स्टडी, मेडिटेशन और रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा। हाल ही में हुई कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं बैठक में लिए गए फैसलों पर अमल करने का काम अब शुरू हो गया है।

नई योजना के अनुसार धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में गीता के 18 अध्यायों पर 18 भव्य द्वार बनाए जाएंगें। फिलहाल, पिपली गीता द्वार और सन्निहित सरोवर सूर्य द्वार बनाए गए हैं। राज्यपाल की माैजूदगी में हुई बैठक के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को सभी द्वार बनाने की योजना का ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन जगहों को भी चिह्नित किया जाएगा, जहां पर यह द्वार बनाए जाएंगे। इन स्थानामें में पिहोवा रोड ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र-कैथल मार्ग, झांसा रोड व सेक्टर-3 बाईपास सहित कई अन्य स्थान हैं।

सरकार ने अष्टकोशी परिक्रमा के पुनरुद्धार के निर्देश दिए हैं। कुरुक्षेत्र के बाहरी मोहल्ला स्थित प्राचीन नाभि कमल मंदिर से अष्टकोशी परिक्रमा शुरू होती है। अब परिक्रमा मार्ग का जीर्णोद्धार किया जाएगा, साथ ही श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शेल्टर और पीने के पानी की व्यवस्था सहित अन्य प्रबंध किए जाएंगे। 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा ने इस योजना की पुष्टि करते हुए कहा कि गीता के 18 अध्यायों पर आधारित 18 गीता द्वार बढ़ने से धर्मनगरी की सुंदरता तो बढ़ेगी, साथ ही यह द्वार आकर्षण का केंद्र भी बनेंगे, जिससे पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा। इस योजना पर काम शुरू हो चुका है।