
नई दिल्ली, 13 अगस्त । खाद्य लेबलिंग, विज्ञापन और दावों पर भारत के नियामक ढांचे को मज़बूत करने के मकसद से बुधवार को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया।
विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय हितधारक परामर्श में ‘खाद्य लेबलिंग, विज्ञापन और दावों पर नियामक ढांचे का व्यापक विश्लेषण’ विषय पर चर्चा की गई। इस परामर्श में संबंधित मंत्रालयों, सरकारी विभागों, वैज्ञानिक विशेषज्ञों, खाद्य व्यवसायों, राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों, उद्योग संघों, उपभोक्ता संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों के लगभग 700 प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने खाद्य क्षेत्र में लेबलिंग और विज्ञापन में नैतिक और सत्यनिष्ठ प्रथाओं के महत्व पर ज़ोर दिया। खाद्य क्षेत्र के विकसित होते परिवेश की ओर इशारा करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि आज चीज़ें तेज़ी से बदल रही हैं। डिजिटल युग में अब एक क्लिक में पूरी दुनिया के साथ संपर्क किया जा सकता हैं, जिसका अर्थ है कि हमें कई सकारात्मक बदलावों और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना होगा, साथ ही खाद्य उत्पादों की और भी बारीकी से जांच करनी होगी। इस तेज़ी से बदलती दुनिया में, इस तरह के परामर्श बेहद ज़रूरी हैं।
उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा कि खाद्य लेबलिंग केवल एक विपणन उपकरण नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे निर्माता और उपभोक्ता के बीच विश्वास का सबसे आवश्यक कारक भी माना जाना चाहिए। हम खाद्य उत्पाद में निहित सभी चीज़ों की सत्य और ईमानदार घोषणा चाहते हैं और अंतिम निर्णय उपभोक्ता पर छोड़ दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने विज्ञापनों में वैज्ञानिक दावों के बाहरी सत्यापन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। लेबलिंग उद्योग के लिए अनिश्चितता को कम करने के लिए लेबल में सभी परिवर्तनों को वर्ष में एक बार लागू करने के एफएसएसएआई के निर्णय की सराहना की।