भारतीय बाजार में 9 महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा एफपीआई का निवेश

नई दिल्ली, 29 सितंबर । अमेरिका समेत कई देशों में ब्याज दरों में की गई कटौती और भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत फंडामेंटल्स के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का रुझान भारतीय बाजार की ओर काफी अधिक बढ़ गया है। सितंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अभी तक भारतीय बाजारों में 57 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से किया गया ये निवेश पिछले 9 महीने का सर्वोच्च स्तर है।

अमेरिका के केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती करने के बाद से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा दिया है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 57,359 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। अगर साल 2024 की बात की जाए तो भारतीय बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो का निवेश अभी तक 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती होने की वजह से लिक्विडिटी बढ़ी है। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती की वजह से भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय बाजार काफी आकर्षक नजर आ रहा है। इसके अलावा वैश्विक सूचकांकों में भारत का वेटेज बढ़ने, बेहतर विकास संभावनाएं और लगातार आकर्षक आईपीओज की लॉन्चिंग के कारण भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजारों पर अपना ध्यान बढ़ा दिया है। यही कारण है कि विशेष रूप से सितंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशको के निवेश में तेजी आई है और इसमें अभी और तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

इस महीने 27 तारीख तक भारतीय बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा किया गया 57,359 करोड़ रुपये का निवेश दिसंबर 2023 के बाद का अभी तक का सबसे ज्यादा निवेश है। दिसंबर 2023 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था। हालांकि सितंबर का महीना खत्म होने में अभी एक और कारोबारी दिन बचा हुआ है, जिसमें विदेशी निवेश में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इस साल जून से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार में लगातार खरीदार की भूमिका में बने हुए हैं। हालांकि इसके पहले अप्रैल और मई के महीने में उन्होंने भारतीय बाजारों से कुल मिला कर 34,252 करोड़ रुपये की निकासी भी की थी। इन दोनों महीनों के अलावा जनवरी के महीने में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेदक लिवाली से ज्यादा बिकवाली करते नजर आए थे। लेकिन जनवरी, अप्रैल और मई के अलावा शेष सभी महीनों में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लिवाली करते हुए नजर आए हैं।