महाकुम्भ से सनातन बौद्ध एकता का दिया गया संदेश
बुद्ध शरणं गच्छामि, धम्मं शरणम् गच्छामि के उद्घोष से गूंजा प्रयागराज का त्रिवेणी घाट
महाकुम्भ नगर 6 फरवरी । दुनिया के कई देशों के भंते, लामा व बौद्ध भिक्षुओं ने गुरूवार को प्रयागराज संगम में आस्था की डुबकी लगाकर दुनिया को सनातन की एकता का संदेश दिया। बुद्ध शरणं गच्छामि, धम्मं शरणम् गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि का उदघोष करते हुए 500 से अधिक बौद्ध भिक्षु संगम तट पर पहुंचकर डुबकी लगाई। भगवान बुद्ध की करूणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें के नारे से संगम तट गूंज उठा। संगम में डुबकी लगाने के बाद बौद्ध भिक्षुओं सनातन के प्रति गर्व की अनुभूति कर रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार की उपस्थित में कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं ने सनातन व बौद्ध एकता का संकल्प लिया।
इस दौरान निर्वासित तिब्बत की रक्षामंत्री गैरी डोलमाहम ने कहा कि प्रयागराज की पावन धरती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मार्गदर्शन में हम सब एक साथ आये हैं। महाकुम्भ में हम बौद्ध व सनातनी एक साथ आए हैं और कदम मिलाकर चल रहे हैं। म्यांमार से आये भदंत नाग वंशा ने कहा कि मैं पहली बार महाकुम्भ में आया हूं। हम बौद्ध व सनातन में बहुत ही समानता है। हम लोग विश्व शांति के लिए काम करते हैं। हम भारत और यहां के लोगों को खुश देखना चाहते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के भदंत शील रतन ने कहा कि हम सब एक थे एक हैं एक रहेंगे। हम सब को सुखी करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार ने कहा कि कुंभ से सनातन व बौद्धमत के समन्वय की धारा को हम आगे लेकर जायेंगे। यहां से समता स्वतंत्रता व बंधुत्व का संदेश पूरी दुनिया में जायेगा। सनातन ही बुद्ध है। बुद्ध ही शास्वत व सत्य है।
इस दौरान धर्म संस्कृति संगम के अरूण सिंह बौद्ध, भंते बुद्ध प्रिय विश्व, भंते राजकुमार श्रावस्ती, भंते अवश्वजीत प्रतापगढ़, भिक्षुणी सुमेन्ता, भंते अनुरूद्ध कानपुर, भंते संघप्रिय रीवा मध्यप्रदेश, भंते बोधि रक्षित, भंते धम्म दीप औरैया, भंते बोधि रतन मैनपुरी व भंते संघ रतन समेत बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं ने संगम में डुबकी लगाई।