जल एक जीवित तत्व, इसके सम्मान, सदुपयोग, सुरक्षा व संरक्षण से ही होगी शांति व समृद्धि
उदयपुर, 21 मार्च। जब तक जल को संसाधन माना जाता रहेगा, उसे एक उत्पाद, आमोद प्रमोद के साधन के रूप में उपयोग किया जाता रहेगा, विश्व में जल से जुड़ी आपदाएं, अशांति व उपद्रव बने रहेंगे। इसलिए विश्व जल दिवस को “शांति के लिए जल” के रूप में मनाने के बजाय “जल के लिए शांति” के रूप में मनाना चाहिए।
यह विचार विश्व जल दिवस 22 मार्च के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यक्रम के शुभारंभ पर गुरुवार को जल विशेषज्ञ, विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ. अनिल मेहता ने व्यक्त किए। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के तत्वावधान में विद्या भवन जल फोरम में आयोजित इस युवा संवाद की अध्यक्षता प्रो सीमा जालान ने की।
मेहता ने कहा कि वर्ष 1993 के पश्चात प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 22 मार्च को जल दिवस के रूप मनाया जाता है। हर वर्ष का एक विशिष्ट विषय होता है। इस वर्ष जल दिवस का विषय “वॉटर फॉर पीस” है। मेहता ने कहा कि यह सर्व मान्यता है कि जल की बहुत कमी, सूखा या बहुत अधिकता, बाढ़ इत्यादि के कारण विश्व में अशांति व संघर्ष बढ़ रहे हैं। इसलिए जल को केंद्रित रख विश्व शांति, सबको भोजन, सबकी प्रगति, समृद्धि, सौहार्द स्थापना का मंतव्य प्रकट किया गया है। लेकिन, यदि जल के प्रति दृष्टिकोण को केवल एचटूओ तक ही सीमित रखा तो विश्व कभी भी जल संकट, जल जनित संघर्षों, उपद्रवों से नहीं बच सकेगा।
विशेषज्ञ मेहता ने कहा कि धरती पर दो तिहाई से भी ज्यादा जल है, हमारे शरीर में भी जल का यही अनुपात है। भीतर के जल व जगत के जल को शांत रखने के लिए जरूरी है कि जल के प्रति दृष्टिकोण को बदला जाए। जल को एक जीवित तत्व मानते हुए इसके सम्मान सदुपयोग, सुरक्षा व संरक्षण पर कार्य करना जल की शांति सुनिश्चित करेगा। मेहता ने कहा कि जल के प्रति हमारे व्यहवार व भावनाओं से जल की आंतरिक अणु संरचना में सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इसलिए जरूरी है कि जल को ईश्वरीय रूप में देखा जाए। उसके साथ सदव्यहवार किया जाए। उसे प्रदूषित होने से बचाया जाए। उदयपुर सहित भारत के अन्य शहरों का संदर्भ रखते हुए मेहता ने कहा कि झीलों, तालाबों, बावड़ियों, पहाड़ों, जंगलों के साथ हुए दुर्व्यहवार, अत्याचार से ही जल संकट, जल जनित बीमारियां, आपदाएं, संघर्ष बढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ योगिता दशोरा ने आयड़ नदी बेसिन के जल प्रबंधन पर जानकारी रखी। संचालन प्रो देवेंद्र सिंह ने किया। संगोष्ठी के पश्चात बेदला स्थित सुरतान बावड़ी पर जल गुणवत्ता जांच व स्वच्छता श्रमदान किया गया।