कोलकाता, 24 अप्रेल। :भगवान ने हमें इस धरती पर मनुष्य बनाकर भेजा है यह उनकी कृपा है।हमें यहां उन्हें स्मरण करना चाहिए और अपनी परम्पराओं का पालन करना चाहिए। परम्पराओं का पालन करना हमारा धर्म है।जिन परम्पराओं और कानूनों का हमारे पूर्वजों और शास्त्रों ने बनाया है ,उस पर हमें गर्व करना चाहिए।
भगवान का स्वभाव है कि जो उनको चाहता है,उनसे प्रेम करता है,उसे अपना लेते हैं। रूक्म ने अपनी बहन रुक्मणी का विवाह शिशुपाल से निश्चित कर दिया था पर रुक्मणी तो द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती थी।रुक्मणी ने अपनी भावना को मां को बताकर श्रीकृष्ण को एक ब्राह्मण के माध्यम से अपना संदेश-पत्र भेजा।अपने संदेश पत्र में रुक्मणी ने लिखा, हे चक्र चलाने वाले मोहन! अब मुझे जिन्दा करो।मैं आपसे ही विवाह करूंगी शिशुपाल से नहीं।इधर शिशुपाल रुक्मणी से विवाह करने के लिए सैन्य बल और अन्य राजाओं को एकत्रित करने लगा पर उसे बुरे सपने आने लगे।बुरा सपना देखने पर भगवान का भजन करना चाहिए।उधर श्रीकृष्ण को अच्छे सपने आने लगे। सपने आते हैं तो प्रकृति सपने के माध्यम से आगे की बात सुझाती है।
श्रीकृष्ण रुक्मणी की प्रार्थना को सुनकर आते हैं ,रुक्मणी को ले जाते हैं और विवाह करते हैं।इस दौरान रूक्म से कृष्ण का युद्ध होता है।अंत में ,कृष्ण रूक्म को मारने वाले ही थे तब रुक्मणी ने ऐसा न करने की प्रार्थना करने लगी।रूक्म को जब पता चल गया कि कृष्ण भगवान है तब कृष्ण ने उस कृपा कर उसे अपना चतुर्भुज स्वरूप दिखाया। ये बातें हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में श्री सिद्धि हनुमान मंदिर के तत्वावधान में प्रसिद्ध कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ‘बालव्यास’ ने रुक्मणी मंगल पर प्रवचन करते हुए श्री सिद्धि हनुमान मंदिर प्रांगण में कही।
रंजना शर्मा के निर्देशन में कार्यक्रम को सफल बनाने में पंडित अशोक झा,गोविन्द त्रिपाठी, वेद प्रकाश त्रिपाठी,सुनील मिश्र सहित अन्य सक्रिय रहे।इस अवसर पर शकुंतला दीवान,संगीता चूड़ीवाल, सरिता अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल,सद्भावना चौधरी अग्रवाल, दीना गोयनका,नीलम नेवटिया,रेखा केडिया,शारदा छापड़िया प्रेमलता बथवाल ,मदन अग्रवाल, राजेन्द्र बुबना,पुरुषोत्तम तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।