
कोलकाता, 16 अप्रैल। वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में भड़की हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस सांसद ईशा खान चौधरी की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। इसके जवाब में ईशा खान ने मुख्यमंत्री को ‘राजधर्म’ निभाने की सलाह दी है और उन पर तृणमूल की विफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है।
दरअसल, नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित इमाम-मुअज्जिन सम्मेलन के मंच से ममता बनर्जी ने कहा कि जिस क्षेत्र में हिंसा हुई, वह मालदा जिले का हिस्सा है और वह कांग्रेस का क्षेत्र है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ तौर पर कांग्रेस सांसद ईशा खान की ओर था, जिनका लोकसभा क्षेत्र ‘मालदा दक्षिण’ में फरक्का और शमशेरगंज जैसे हिंसा प्रभावित इलाके आते हैं।
मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ईशा खान चौधरी ने कहा, “यह कहना पूरी तरह गलत है कि हिंसा के लिए हम जिम्मेदार हैं। जिन क्षेत्रों में घटनाएं हुई हैं, वहां प्रशासनिक नियंत्रण पूरी तरह तृणमूल कांग्रेस के पास है- विधायक भी उनके, पंचायतें भी उनकी। ऐसे में हम कैसे दोषी हो सकते हैं?” उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि आरोप लगाने की बजाय राजधर्म का पालन करें, पुलिस और खुफिया तंत्र को सक्रिय करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
ईशा ने बताया कि वह हिंसा प्रभावित इलाकों में जाकर राहत शिविरों का दौरा कर चुकी हैं और जब तक शांति पूरी तरह बहाल नहीं हो जाती, तब तक वह मालदा में रहकर हालात पर नजर रखेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि हिंसा के बाद धूलियान से सैकड़ों लोग नावों के जरिये मालदा के वैष्णवनगर में अस्थायी शिविरों में शरण ले चुके हैं।
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया और कहा, “जब हाथरस या मणिपुर में कुछ होता है तो आप बयान देती हैं। लेकिन जंगीपुर और शमशेरगंज क्या आपके लिए अछूत हैं? क्या वहां के लोग वोट नहीं देते? मुख्यमंत्री को कम से कम एक बार पीड़ित हिंदू और मुस्लिम परिवारों से मिलकर उनकी पीड़ा सुननी चाहिए।”