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कोलकाता, 24 फरवरी । 2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने ग्रामीण सड़कों के रख-रखाव के लिए 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। राज्य के पंचायत विभाग ने यह राशि स्वीकृत की है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) और ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (रिड्फ) के तहत बनी पुरानी सड़कों का रख-रखाव करना है।
आम तौर पर इस मद में हर साल 200 से 250 करोड़ रुपये का बजट रखा जाता है, लेकिन इस बार एकमुश्त 750 से 800 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, जिसे अभूतपूर्व माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस सरकार ने यह बड़ा कदम ग्रामीण मतदाताओं को लुभाने के लिए उठाया है, क्योंकि खराब सड़कों की वजह से चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पीएमजीएसवाई के तहत बनने वाली सड़कों के लिए 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती है, जबकि 40 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करना पड़ता है। हालांकि, इस योजना के तहत बनी सड़कों के रख-रखाव की कोई स्पष्ट नीति केंद्र की ओर से नहीं है, जिससे यह जिम्मेदारी राज्य सरकार पर आ जाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसी कारण तृणमूल सरकार ने चुनाव से पहले इन सड़कों की मरम्मत और रख-रखाव के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया है।
राज्य सरकार का मानना है कि यदि इन सड़कों का समय पर रख-रखाव नहीं किया गया, तो ग्रामीण परिवहन व्यवस्था प्रभावित होगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आम लोगों के दैनिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए चुनाव से पहले इन कार्यों को पूरा करना सरकार के लिए प्राथमिकता बन गया है।
वहीं, विपक्ष ने इस फैसले को चुनावी राजनीति करार दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि लंबे समय से राज्य सरकार इन सड़कों की मरम्मत को नजरअंदाज करती आई है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले अचानक इतने बड़े बजट का आवंटन तृणमूल के वोटबैंक को मजबूत करने की कोशिश है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण सड़कों के सुधार का सीधा प्रभाव मतदाताओं पर पड़ेगा। तृणमूल सरकार पहले से ही विभिन्न सामाजिक योजनाओं जैसे लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री, रूपश्री, कृषक बंधु और ‘द्वारे सरकार’ के जरिए ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है। अब सड़कों के रखरखाव के लिए भारी भरकम बजट आवंटित कर सरकार चुनाव से पहले अपनी विकास योजनाओं को और मजबूत करना चाहती है।
हालांकि, यह बजट सही तरीके से खर्च होगा या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। विपक्ष पहले ही इस पर नजर बनाए हुए है और सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा कि धनराशि का सही उपयोग हो।
2026 के विधानसभा चुनावों में इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तृणमूल सरकार के लिए यह एक महत्वपूर्ण रणनीति हो सकती है, जो ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित करने में कारगर साबित हो सकती है।