कोलकाता, 9 अगस्‍त। कृष्ण बिहरी मिश्र अध्ययन मण्डल के तत्वावधान में रविवार को भारतीय भाषा परिषद सभा कक्ष सभागार में फिराक का भारत प्रेम विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

विचार गोष्ठी में प्रधान वक्ता साहित्यकार प्रमोद शाह ने कहा कि प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी भारत और भारत के प्रति उच्च भावना रखते थे और उसकी महानता के बारे में बिना किसी कुंठा और पूर्वाग्रह के बोलते थे।उनका कहना था कि यदि आप हिन्दू विरोधी है तो आप भारत विरोधी है।भारत कोई बैंक नहीं जिसमें आध्यत्मिक और सांस्कृतिक रूप से अलग-अलग लोगों के एकाउंट्स हो।भारत एक ऐसा घर है,जिसमें उन्हें रहने का अधिकार है,जो अन्तर्मन से भारतीय हों ।हमें भारत को अपने अंदर बसाना है।जब भारत हमारे लहू में रच उठेगा तभी संगठित राष्‍ट्रीयता का हमारा सपना साकार होगा।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डा .वसुमति डागा ने पद्मश्री से सम्मानित डा.कृष्ण बिहारी मिश्र को स्मरण करते हुए  कहा कि वे अपने सृजन की हर विधा में अंधेरी ताकतों के खिलाफ पूरी तेजस्विता के साथ दिखाई देते हैं।उनके आजीवन तपस्या का मूर्तरूप है ठाकुर रामकृष्ण परमहंस के जीवन आधारित उनकी रचना कल्पतरू की उत्सव लीला।

फिराक के बारे में उन्होंने कहा,फिराक भारतीय संस्कृति और दर्शन की जड़ों से जुड़े शायर थे।इसलिए उनकी रचनाएं जीवन संग्राम में और प्रतिकूल परिस्थिति में भी पाठक को जीवनी शक्ति से भर देती है और हमेशा प्रेम व जीवन का संगीत सुनाती रहेगी।
डा.रेशमी पांडा मुखर्जी ने संस्था की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।अजयेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर कमलेश मिश्र,डा.अनिल कुमार शुक्ल विजय कानोड़िया,अजय अग्रवाल, रामनाथ महतो,शशांक प्रिय मिश्र,राम कथावाचक पुरूषोत्तम तिवारी,संजय कुमार राय,लखन कुमार सिंह ,रवि प्रताप सिंह,जीवन सिंह , डा.दिव्या प्रसाद, नंद लाल सेठ,प्रदीप धानुक सहित अन्य गणमान्य लोग मंजूद रहे।