
पलामू, 5 जुलाई । नेशनल हाईवे-39 (पुराना-75) के निर्माण के कारण पलामू के सतबरवा प्रखंड क्षेत्र के कई एकड़ खेत पानी में समाहित हो गए हैं। शनिवार को प्रभावित किसानों ने अपने-अपने खेतों के पास प्रदर्शन किया। दूसरी ओर रबदा में जामुन अहरा और ठेमा का चुडरवा आहर के ऊपरी क्षेत्र के खेतों में जलजमाव होने से किसान परेशान हैं। वहीं अहरा के नीचे के क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है। किसानों ने आंदोलन करने की रणनीति बनाई है।
किसान अनिल सिंह के अनुसार जामुन आहर के हिस्से को सड़क निर्माण के दौरान मिट्टी और मेटेरियल से भर दिया गया है। पानी के निकास की कोई व्यवस्था नहीं करने से उपर के कई एकड़ खेतों में पानी जमा हो गया है। और नीचे के सैकड़ों एकड़ खेतों को अहरा और अन्य प्राकृतिक स्रोत से पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसान धान व खरीफ की अन्य फसलों की बुवाई नहीं कर पाए हैं।
पानी निकासी की व्यवस्था नहीं कराई
डूबे खेत को दिखाते हुए दशरथ प्रसाद ने कहा कि निर्माण कार्य करा रही भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड के जुल्म का शिकार हम सब किसान हुए हैं। अगर समय रहते जामुन आहर और माड़र के बीच में पानी निकासी की व्यवस्था नहीं कराई गई, तो हम सब किसान आत्मदाह करने को विवश होंगे। खेत दलदली हो गए हैं। आने वाले दिन में रबदा और हुड़मुड़ गांव का हिस्सा डूब जाएगा।
इधर, अन्य किसानों का कहना है कि मामले की जानकारी अंचलाधिकारी को दी गई है। उनसे आग्रह किया गया है कि जल्द से जल्द नेशनल हाईवे निर्माण का कार्य कर रही कंपनी से बात करके समस्या का निदान करें, ताकि किसान के खेतों को सही ढंग से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सके।
किसानों ने बताया कि जहां पर दोनों आहर हैं, उसके ठीक ऊपर में मलय नहर है। नहर खुलने के बाद स्थिति और गंभीर हो जाएगी। कंपनी की लापरवाही का नतीजा हम सब किसानों को भुगतना पड़ रहा है। कई किसानों ने बताया कि सड़क निर्माण करा रही कंपनी से मुआवजा की मांग भी की गई है।
प्रभावित किसानों के नाम प्रयाग सिंह, मोहन सिंह, धीरज सिंह, धनेश्वर सिंह, धर्मराज सिंह, सुरेंद्र सिंह, महेंद्र मिश्रा, मक्खन प्रसाद सहित अन्य शामिल हैं।