बहराइच, 18 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित 551 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में इंसानों पर वन्यजीवों के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही है।
पर्यावरणविदों के अनुसार जंगल में इंसानों का दखल इन घटनाओं का सबब बन रहा है जहां इंसानों और वन्यजीवों के बीच ज्यादातर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। संघर्ष की इस स्थिति में कमी लाने के लिए कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य की तरफ से सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमे पिछले पांच सालों में जिन इलाकों में इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की ज्यादा घटनाएं सामने आई है उन इलाकों में चेनलिंक फेसिंग लगवाने के लिए कहा गया था।जिसको राज्य सरकार ने मंजूरी देते हुए शासन की तरफ से 30 करोड़ रुपए अवमुक्त कर दिए है।
कतर्नियाघाट डीएफओ आकाशदीप बधावन ने बताया कि इंसानों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए कतर्नियाघाट के पांच रेंजो में लगभग 75 किलोमीटर के दायरे में चेनलिंक फेसिंग का काम होना है। जिनमे कतर्नियाघाट,सुजौली निशानगाढ़ा,ककरहा और मोतीपुर रेंज चिन्हित किए गए है। चेनलिंक फेसिंग खेतों और जंगलों के बीच में लगाएं जायेंगे। जिससे कोई वन्यजीव फेसिंग को पार करके खेतों में ना जा पाए और ना इंसानों द्वारा जंगल में कोई गतिविधि हो, इस प्रकार वन्याजीवो और इंसानों के बीच होने वाले संघर्षों में कमी आयेगी।