उदयपुर, 19 जनवरी। उदयपुर के कुछ जैन परिवारों की तीन पीढ़ियों ने मित्रता की मिसाल कायम रखते हुए एक अद्वितीय सामूहिक जैन तीर्थ यात्रा का आयोजन किया। इस यात्रा के माध्यम से यह प्रतीत होता है कि जिस प्रकार परिवार का वृक्ष पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता है, उसी परंपरा में इस मित्र मंडली ने पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी मित्रता को गहरा रखते हुए अपने इस रिश्ते की मजबूती बताई है। मित्रों के समूह में सबसे वरिष्ठ की उम्र 70 साल है तो सबसे छोटा एक साल का है। हर परिवार के दादा, पोता और सभी आपस में मित्र।
इन परिवारों ने हाल ही में सिरोही जिले के पावापुरी तीर्थ, भैरू तारक धाम, जीरावाला पार्श्वनाथ, बहत्तर जिनालय और बालोतरा स्थित नाकोडाजी की यात्रा की। यात्रा की शुरुआत नवकार मंत्रों के साथ हुई। राम भगवान के भजन राम आएंगे राम आएंगेए बजाओ ढोल स्वागत में सहित कई भजन गाए। यह मित्र मंडली 60 से 70 लोगों की है।
यात्रा में शामिल रुचिता जैन, डॉ शुभा सुराणा, प्रदीप जैन, विनीत जैन, कपिल कोठारी, सत्येंद्र जैन बताते हैं कि इस अद्वितीय सामूहिक यात्रा के माध्यम से इन परिवारों ने सामूहिक जीवन का महत्वपूर्ण सिद्धांतों को पुनः समर्थन दिया है और समृद्धि और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया है। इस अनूठे अनुभव के माध्यम से इन परिवारों ने दिखाया है कि मित्रता के बंधन से जुड़े व्यक्ति न केवल अपने परिवार से बल्कि समूह से भी मिलकर अद्वितीय और सशक्त बन सकते हैं। अंत में यही संदेश देते हैं कि जीवन के कुछ अच्छे कर्म है जो इतने सारे सच्चे मित्र मिले। यह भाग्य नहीं सौभाग्य है।