उदयपुर, 6 अक्‍टूबर। पर्यटन को एक उत्पाद  के रूप में बेच कर अधिक से अधिक आर्थिक लाभ कमाने की होड़ प्रकृति को गंभीर नुकसान पंहुचा रही है। प्रकृति के साथ सदाचार  पर्यटन  विस्तार का आधार  होना   चाहिए।

यह विचार विद्या भवन पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य  डॉ अनिल मेहता ने क्राइस्ट विश्वविद्यालय बैंगलुरू व   डीपोज़नगोरो विश्वविद्यालय इंडोनेशिया के संयुक्त तत्वावधान में पर्यटन पर  आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में व्यक्त किये।

“इंटर डिसिप्लिनरी इंगेजमेंट एंड सोशियल इनोवेशंस इन बिज़नेस एंड टूरिज्म”  विषयक कार्यशाला के उपसत्र ” सस्टेनेबल बिहेवियर  एंड प्रैक्टिसेज फ़ॉर इम्प्रुविंग क्वालिटी ऑफ लाइफ” मे मेहता  ने कहा कि पर्यटन  बढोतरी के नाम पर जंगल,  झीलों, टापुओं को नष्ट  करना, पहाड़ों को काटना  ,  शोर व लाइट प्रदूषण बढ़ाना रुकना चाहिए। पर्यटन से   वायु प्रदूषण व  जल प्रदूषण नही होना चाहिए ।  असंतुलित व प्रकृति विरक्त  पर्यटन आपदाएं ही  लाएगा।   मेहता ने कहा कि उदयपुर, जोशीमठ सहित देश के कई पर्यटन स्थलों पर उनकी  धारण क्षमता से अधिक पर्यटन हो रहा है।

पर्यटन   की उपयोगिता व महत्व को रेखांकित करते हुए  मेहता ने कहा कि   इकोनॉमी व इकोलॉजी दोनों का ध्यान रखने वाला पर्यटन ही इको टूरिज्म है। मेहता ने कहा कि पर्यटन व्यवसाय का उद्देश्य ” अर्निंग वाइल सर्विंग द एनवायरमेंट” होना चाहिए। पर्यटन व्यवसाय जगत यदि   प्रकृति  संरक्षक का दायित्व स्वीकार करेगा तो प्रकृति उनकी समृद्वि को कई गुना बढ़ा देगी।

मेहता ने कहा कि कचरा व गंदगी प्रबंधन ( वेस्ट मैनेजमेंट) में सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांत के बजाय सर्कुलर इकोलॉजी का सिद्धांत अपनाना चाहिए । यह तभी हो सकेगा जब प्रकृति के प्रति हमारी प्रवृति बदले।

सम्मेलन में इग्नू दिल्ली की प्रो. दीक्षा दवे ने पर्यटन व्यवहार पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार  प्रकृति चक्र का ध्यान  रखने से  ही आएगा।

 

टूरिज्म व ट्रेवल  से जुड़े विशेषज्ञों जोजो जॉन, नीनो चार्ल्स,  हेमंत सोरेंग,  मनवेल आलुर व मॉडरेटर डॉ शाहिद खान ने  पर्यटन क्षेत्र में हो रहे  रचनात्मक बदलाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा  कि पूरी दूनियाँ में पर्यटन जिम्मेदार व उत्तरदायित्व पूर्ण होता जा रहा है। होटलों तथा रिजॉर्ट में प्रकृति संरक्षण पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। पर्यटक भी यह ध्यान रख रहे हैं कि स्थानीय समुदाय व पर्यावरण को कोई असुविधा व   हानि नही हो। यह बदलाव प्रेरणादायक है। उपसत्र का संयोजन डॉ बिंदी वर्गीज,  सौम्या कपिल व सेजना ने किया।