
नई दिल्ली, 3 अप्रैल। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने घनश्याम तिवाड़ी की अध्यक्षता वाली संसदीय आचार समिति (एथिक्स कमेटी) को ऐसा प्रभावी तंत्र विकसित करने का जिम्मा सौंपा है, जिससे सदन में सदस्य मर्यादित आचरण करें और संसदीय संस्थान की साख में इजाफा हो।
लोकसभा में बुधवार को भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में दिए गए बयान को लेकर आज राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ। सभापति जगदीप धनखड़ यह सब देखकर भावुक हो गए। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस सदन में और दूसरे सदन में बहुत वरिष्ठ लोगों के संबंध में सभी प्रकार की बातें की गई हैं। खरगे सबसे वरिष्ठ लोगों में से एक हैं। मैं प्रधानमंत्री सहित संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य वरिष्ठ लोगों के संबंध में जो कहा गया है, वह यहां नहीं कहना चाहता। इसलिए मैं सभी से आग्रह करूंगा कि चाहे प्रधानमंत्री हों, सदन के नेता हों, विपक्ष के नेता हों, मेरे लिए हर सदस्य की अपनी एक अनमोल प्रतिष्ठा है, जिसे बनाए रखना है और इसलिए जो कुछ भी हटाया गया (एक्सपंज) है, उसे कभी भी चर्चा में नहीं आना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जयराम रमेश ने सदन में सबकी मौजूदगी में सभापति के खिलाफ सबसे घिनौना आरोप लगाया है कि सभापति मुद्दे को भटका रहे हैं। जयराम रमेश ने आपके सभापति को चीयरलीडर कहा था। मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए, जब एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस सदन के पवित्र परिसर में अध्यक्ष की मिमिक्री का वीडियो बनाया। देश के लाखों लोगों की पीड़ा की कल्पना कीजिए जब आप केवल दाग लगाने, कलंकित करने, अपमानित करने और प्रतिष्ठा खराब करने के लिए बाहर गए हैं।”
सभापति ने कहा कि जब राणा सांगा का मुद्दा आया तो भी मैं विचारशील था। मैंने इसका व्यक्तिगत हिस्सा नहीं बताया, सैनिक स्कूल में जिस सदन में मैं रहता था उसका नाम राणा सांगा के नाम पर रखा गया था। एक महान पुत्र पर ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। क्या हम केवल तब प्रतिक्रिया करते हैं जब खुद की दाढ़ी में आग लगती है? मैंने विपक्ष के नेता के प्रति सर्वोच्च सम्मान दिखाया लेकिन यदि आपका मतलब राजनीतिकरण करना है तो मैं आपको बता दूं कि सभापति द्वारा निष्कासन से इस मुद्दे पर शांति आनी चाहिए। मैंने डेरेक ओ ब्रायन को अपने सदस्यों को इशारे करते हुए देखा है। क्या हम इसे कभी बर्दाश्त कर सकते हैं? जब मैंने डेरेक ओ ब्रायन की टिप्पणियों को हटाया, तो उन्होंने उन्हें सोशल मीडिया पर डाल दिया, ऐसा 8 दिन हुआ। मैं इस सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूं। आप अपने तीसरे कार्यकाल में प्रधान मंत्री के कद को नहीं पहचानते हैं। आप देश की राष्ट्रपति के साथ चीजों को अवमानना के साथ लेते हैं।
सभापति ने कहा कि इसके मद्देनजर मैंने घनश्याम तिवाड़ी की अध्यक्षता वाली संसदीय आचार समिति को यह कार्य सौंपा है कि वह इसका सही समाधान निकालें। क्योंकि हम उम्मीद करते हैं कि कोई सदस्य जो नया सदस्य होने या अन्य किसी कारण से भावुक हो सकता है और वह बाद में उस बयान के लिए सदन में माफी मांगता है। इससे संबंधित सदस्य की छवि तो सुधरती है, लेकिन उस दौरान मीडिया के आकर्षण को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है। मीडिया वह सब कुछ सेकेंड में प्रसारित कर चुका होता है। इसलिए आचार समिति का नेतृत्व कर रहे घनश्याम तिवाड़ी को मैंने एक तंत्र विकसित करने का काम दिया है। इसके लिए सदस्यों को परामर्श देने की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों को कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए, उन्हें अपने सदस्यों को शिक्षित करना चाहिए ताकि ऐसी परिस्थितियों का सामना न करना पड़े।