
कोलकाता, 9 नवंबर । आज के समय में जब पूरा विश्व यह खोजने में व्यस्त है कि शासन का कौन-सा स्वरूप जनता के हित में सर्वाधिक उपयुक्त है, ऐसे में लोकतंत्र की अवधारणा और उसकी चुनौतियों पर चिंतन आवश्यक हो जाता है। इसी उद्देश्य से ‘संस्कृति सौरभ’ की ओर से “लोकतंत्र का भविष्य : सवालों के घेरे में” विषय पर एक विशेष विचार-संवाद का आयोजन 8 नवंबर 2025 को भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता में किया गया।
मुख्य वक्ता थे भारत के पूर्व निर्वाचन आयुक्त एवं पूर्व वित्त सचिव अशोक लवासा। अपने वक्तव्य में लवासा ने लोकतंत्र की उत्पत्ति, उसके मूल सिद्धांत, उसकी उपलब्धियाँ तथा उसमें अंतर्निहित चुनौतियों का गहराई से विश्लेषण किया। उन्होंने यह भी बताया कि शासन के विभिन्न स्वरूप -जैसे राजतंत्र, कुलीनतंत्र या नौकरशाही तंत्र- किस प्रकार समय-समय पर विकसित हुए तथा उनका समाज और नागरिकों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा।उन्होंने भारत सहित विश्व के अनेक देशों में शासन के स्वरूप और लोकतांत्रिक मूल्यों के व्यवहारिक स्वरूप का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया।
उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे महान राष्ट्रनिर्माताओं के विचारों को उद्घ्ृत करते हुए लोकतंत्र के मूल मूल्य – समानता, उत्तरदायित्व और संवाद – पर बल दिया। उन्होंने उपस्थित जनसमूह के समक्ष कई गूढ़ और विचारोत्तेजक प्रश्न रखे, जिससे चर्चा और अधिक गहराई प्राप्त कर सकी।
उन्होंने कहा कि – “किसी भी शासन प्रणाली की सफलता उसकी संरचना में नहीं,बल्कि उसे संचालित करने वाले व्यक्तियों की गुणवत्ता,नैतिकता और निष्ठा में निहित होती है।” “जब तक लोग विवेकपूर्ण ढंग से प्रश्न पूछने के लिए स्वतंत्र हैं, तब तक लोकतंत्र का भविष्य सवालों के घेरे में नहीं है।”
कार्यक्रम के आरम्भ में बिजय कानोड़िया ने स्वागत वक्तव्य रखा और संस्था का परिचय सचिव बिमल नौलखा ने दिया। संस्था के संरक्षक पदम् प्रकाश गुप्ता ने मुख्य वक्त को शॉल प्रदान किया और बिजय कानोड़िया ने मोमेंटो दिया। संयुक्त सचिव सुभाष सोंथलिया ने गुलदस्ता प्रदान किया । लीला शाह और सरिता बेंगाणी ने दिल्ली से पधारीं लेखिका नॉवेल लवासा को गुलदस्ता प्रदान किया।संस्था के प्रेसिडेंट एमरेटस प्रमोद शाह ने विषय प्रवेश रखा। सहसंयोजक संजय पंसारी ने अशोक लवासा का परिचय दिया ।कार्यक्रम का सञ्चालन सहसंयोजक एवं संयुक्त सचिव प्रदीप जीवराजका ने किया। उपाध्यक्ष विनीत रुइया ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में कोषाध्यक्ष जतन बरड़िया,कार्यकारिणी सदस्य अजय अग्रवाल,राजेंद्र खंडेलवाल,आनंद मेहता,विकास रूँगटा,मुकेश खेतान,संदीप अग्रवाल , वरिष्ठ सदस्य संतोष कानोड़िया का विशेष सहयोग रहा।
पत्रकार जीतेन्द्र जितांशु,मीनाक्षी सांगानेरिया,कवि रवि प्रताप सिंह,अमिताभ चक्रवर्ती,बिमल शर्मा एवं अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।






