‘अपना घर’ आश्रम बना जीवन की नई शुरुआत का सेतु

सेवा, स्नेह और पुनर्वास की जीवंत मिसाल

उदयपुर, 15 अप्रैल।
कभी सड़कों पर भटकता एक असहाय व्यक्ति… और आज अपने स्नेही परिजनों के साथ सकुशल घर वापसी करता वही चेहरा—यह कोई कहानी नहीं, बल्कि उदयपुर स्थित ‘अपना घर आश्रम’ में घटित एक सजीव भावनात्मक क्षण है, जिसने उपस्थित सभी जनों की आंखें नम कर दीं।

दो माह पूर्व भूपालपुरा थाने की सूचना पर सेवा आश्रम चौराहा क्षेत्र में एक मानसिक रूप से असंतुलित अवस्था में घूम रहे व्यक्ति को ‘अपना घर आश्रम’ बेदला में भर्ती किया गया था। उस समय उनकी स्थिति अत्यंत कमजोर और असहाय थी। पूछताछ में उन्होंने अपना नाम आरिफ बताया, लेकिन इसके अलावा कोई और जानकारी नहीं दे पाए।

आश्रम में सतत सेवा, उपचार और मानवीय स्नेह के वातावरण ने धीरे-धीरे चमत्कार दिखाया। जैसे-जैसे मानसिक स्थिति में सुधार हुआ, आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह की काउंसलिंग के दौरान आरिफ प्रभुजी ने अपने परिवार के बारे में कुछ बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि उनका भाई इटारसी में और बहनोई बैतूल (मध्य प्रदेश) में रहते हैं।

आश्रम प्रशासन ने तत्परता से प्रयास किए। दिए गए विवरणों के आधार पर उनके परिवार से संपर्क साधा गया। उनके बहनोई से जब संपर्क हुआ, तो यह जानकारी मिलते ही वह एक रिश्तेदार के साथ बैतूल से स्वयं उदयपुर पहुंचे।

जैसे ही बहनोई और बहन आश्रम पहुंचे और आरिफ प्रभुजी को देखा भावनाएं उमड़ पड़ीं। ढाई-तीन वर्षों से बिछड़े भाई से मिलकर बहन की आंखों में संतोष और पीड़ा की मिश्रित बूंदें छलक आईं। उन्होंने बताया कि रतलाम में उनके होने की जानकारी मिलने के बाद काफी खोजबीन की गई, लेकिन वे नहीं मिले। अचानक आश्रम से सूचना मिली तो पूरे परिवार में प्रसन्नता फैल गई।

बहन ने बताया कि आरिफ प्रभुजी के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। ससुराल पक्ष द्वारा उन्हें घर से निकाल देने के बाद उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था और वे घर छोड़कर चले गए थे।

‘अपना घर आश्रम’ के अध्यक्ष सुरेश विजयवर्गीय, सचिव गोपाल कनेरिया एवं सेवाभावी अशोक कोठारी ने आरिफ प्रभुजी को तिलक कर, उपरणा ओढ़ाकर ससम्मान विदा किया। यह केवल एक व्यक्ति की घर वापसी नहीं थी, बल्कि यह उस आशा और करुणा की यात्रा का सुखद पड़ाव था, जिसे ‘अपना घर’ आश्रम हर दिन जी रहा है।

‘अपना घर आश्रम’ की सेवा भावना और कार्यों से प्रभावित होकर सेवाभावी अशोक कोठारी ने आश्रम की आजीवन सदस्यता ग्रहण की। आश्रम अध्यक्ष व सचिव ने उन्हें उपरणा ओढ़ाकर और साहित्य भेंट कर अभिनंदन किया।