पूर्वी सिंहभूम, 12 अगस्त । विश्व हाथी दिवस के अवसर पर मंगलवार को बिष्टुपुर स्थित एक होटल में कोल्हान वन विभाग की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में कोल्हान क्षेत्र के सभी वन पदाधिकारी, वन रक्षक, विभागीय कर्मी और स्थानीय विद्यालयों के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हाथियों के संरक्षण, उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के उपायों पर चर्चा करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत स्मारिका विमोचन से हुई, जिसमें हाथियों के जीवन, उनके व्यवहार और संरक्षण संबंधी जानकारियां शामिल थीं। इसके साथ ही हाथियों के बचाव और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए वन विभाग को एक विशेष वैन भी समर्पित की गई, जिसे अतिथियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर जंगल की रक्षा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले वनकर्मियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

सिंहभूम के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक (आईएफएस) स्मृति पंकज ने अपने संबोधन में कहा कि हाथी आमतौर पर 20 से 25 के झुंड में चलते हैं और हमारा प्रयास रहता है कि वे अपने प्राकृतिक मार्ग से न भटकें। इसके लिए जरूरी है कि जंगल सुरक्षित और संरक्षित रहें। उन्होंने बताया कि हाथियों को बांस विशेष रूप से पसंद होता है, इसलिए पूरे सिंहभूम क्षेत्र में पिछले वर्ष में दो लाख बांस लगाए गए, जिनमें चाकुलिया क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी गई, क्योंकि यह क्षेेत्र बांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

स्मृति पंकज ने जमशेदपुर के डीएफओ सबा आलम की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हाथियों के लिए पानी और सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था की है। उन्होंने जानकारी दी कि एक वयस्क हाथी का वजन 4,000 से 5,000 किलोग्राम तक होता है और वह प्रतिदिन लगभग 70 किलोमीटर तक चल सकता है। साथ ही उन्‍होंने, रेलवे ट्रैक पर हाथियों की दुर्घटनाओं को लेकर चिंता जताई और इसके समाधान पर जोर दिया।

वन पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में हाथियों की संख्या में वृद्धि हुई है और उनकी सुरक्षा के लिए प्रयास भी बढ़ाए गए हैं। अब बीमार या घायल हाथियों के इलाज और बचाव के लिए एक विशेष वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि हाथियों के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना सबसे अहम है।

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने हाथियों के आवास क्षेत्र, भोजन, पानी की उपलब्धता और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। अंत में, सभी प्रतिभागियों ने हाथियों के संरक्षण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया।