काठमांडू, 17 मार्च । नेपाल में पूर्व राजा की बढ़ती सक्रियता और उनके समर्थकों के लगातार किए जा रहे प्रदर्शन के बीच संसद के बड़े राजनीतिक दलों के बीच गणतंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से सर्वदलीय सरकार बनाने की कवायद शुरू की गई। प्रमुख विपक्षी दल माओवादी पार्टी ने इसके लिए बड़ी शर्त रखी है। पार्टी ने कहा है कि पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का इस्तीफा देना होगा।

नेपाल में पूर्व राजा के समर्थन में हजारों लोग सड़क पर उतर कर राज संस्था की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं। देश के बड़े राजनीतिक दलों का मानना है कि नेपाली कांग्रेस, एमाले, माओवादी और मधेशवादी दलों को मिलकर सर्वदलीय सरकार का गठन कर गणतंत्र के मजबूत होने का संदेश दिया जाए।

माओवादी के सांसद और प्रचण्ड के करीबी रहे नेता शक्ति बस्नेत ने कहा कि राजा के षडयंत्र का सामना करने के लिए देश में लोकतंत्र, गणतंत्र और संघीयता की रक्षा के लिए तीनों प्रमुख दलों का एक साथ आना अनिवार्य हो गया है। बस्नेत ने बताया कि इन तीनों दलों के नेताओं के बीच संवाद भी शुरू हो चुका है।

बस्नेत ने कहा कि इस विशेष परिस्थिति में सबसे बड़े दल नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार का गठन होना चाहिए। बस्नेत ने कहा कि इस परिस्थिति के लिए वर्तमान सरकार और वर्तमान गठबंधन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री ओली को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए ताकि राष्ट्रीय सहमति की सर्वदलीय सरकार के गठन का रास्ता खुल सके।

माओवादी के इस प्रस्ताव पर नेपाली कांग्रेस का एक बड़ा तबका समर्थन कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता डॉ प्रकाश शरण महत ने कहा कि सर्वदलीय सरकार गठन की बात अभी अनौपचारिक रूप से ही चल रही है लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में यह आवश्यक भी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लोकतंत्र को समाप्त कर देश के फिर से राजतंत्र के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है उससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।

कांग्रेस और माओवादी की तरह सत्तारूढ़ दल एमाले के नेता इस समय देश में राजनीतिक चुनौती होने की बात स्वीकार तो कर रहे हैं पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं है। एमाले महासचिव शंकर पोखरेल ने कहा कि प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। उसके बाद ही वो सत्ता हस्तांतरण करेंगे। राष्ट्रीय सहमति की सरकार गठन के प्रयास पर उन्होंने कहा कि माओवादी को अगर सत्ता में आना है तो ओली के नेतृत्व में ही आना चाहिए और उसके लिए बातचीत का दरवाजा खुला है।