नई दिल्ली, 17 अगस्त। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि सतत विकास और आम वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षा एक शक्तिशाली उत्प्रेरक है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने भारत द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के शिक्षा मंत्रियों का स्वागत किया। सम्मेलन में शिक्षा मंत्रियों ने शैक्षिक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श किया और उन्हें संबोधित किया।
प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का उद्देश्य भारत के युवाओं को वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करना और भारत को 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि एनईपी भारत के सीखने के परिदृश्य में एक आदर्श बदलाव ला रही है। एनईपी 2020 केवल एक नीति नहीं है, बल्कि एक दार्शनिक खाका है जिसे सभी उभरती अर्थव्यवस्थाएं अपना सकती हैं। एक ‘विश्व बंधु’ के रूप में, भारत मानव संसाधन विकास को आगे बढ़ाने में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए समर्पित है।
उन्होंने कहा कि हम भारत में अध्ययन और ग्लोबल साउथ स्कॉलरशिप जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उच्च शिक्षा के लिए और अधिक अवसरों के द्वार खोलना चाहते हैं।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने साथी मंत्रियों द्वारा समृद्ध चर्चा और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नवाचार को बढ़ावा देने, शैक्षिक अवसरों को समान बनाने, हमारे युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने, विकासात्मक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने, अपने-अपने देशों को ज्ञान-आधारित समाजों के रूप में बदलने और किसी को भी पीछे न छोड़ने के लिए हमारा दक्षिण-दक्षिण सहयोग मजबूती से बढ़ेगा।