कोलकाता, 27 जून (हि.स.)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पश्चिम बंगाल में राशन वितरण मामले की जांच कर रहा है। इस दौरान ईडी के अधिकारियों ने करीब एक हजार चावल और गेहूं मिलों की लिस्ट तैयार की है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घोटाले में शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि लिस्ट उन लोगों के साथ संबंधों के आधार पर तैयार की गई है जो पहले से ही गिरफ्तार हैं और घोटाले में शामिल होने के कारण फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इनमें पश्चिम बंगाल के पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक भी शामिल हैं।

ईडी सूत्रों के अनुसार, घोटाले में उचित मूल्य प्रणाली के तहत वितरण के लिए खरीदी गई अच्छी वस्तुओं का एक बड़ा हिस्सा इन चावल और गेहूं मिलों को भेजा गया था। जो बाद में उन्हें खुले बाजारों या पैकेज्ड चावल या पैकेज्ड गेहूं के विपणन में लगे कॉर्पोरेट संस्थाओं में प्रीमियम कीमतों पर बेचे गए थे।

ईडी अधिकारियों ने कहा कि जांच अधिकारी पहले ही जब्त किए गए दस्तावेजों की सत्यता के बारे में कुछ चावल और गेहूं मिलों के मालिकों से पूछताछ करेंगे। सूत्रों ने बताया कि घोटाले के पीछे मुख्य मास्टरमाइंड ने पूरी प्रक्रिया में दो-स्तरीय लाभ कमाने की योजना बनाई। सबसे पहले अपने विश्वासपात्रों के माध्यम से उन्होंने कुछ फर्जी किसान सहकारी समितियां बनाईं। फिर इनके माध्यम से किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर अनाज खरीदा।

अगले स्तर पर वही खाद्य पदार्थ, जोकि उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से बेचे जाने चाहिए थे, उन्हें खुले बाजारों या पैकेज्ड खाद्य विपणन व्यवसाय में लगी संस्थाओं में प्रीमियम कीमतों पर बेचा गया। इसमें मंत्री और हर स्तर के तृणमूल नेताओं की भूमिका बड़ी रही है।