कोलकाता, 8 मई । कोलकाता में करोड़ों के फर्जी पासपोर्ट रैकेट के मामले में गिरफ्तार पाकिस्तानी नागरिक आज़ाद मलिक के आतंकी संबंधों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कुछ अहम सुराग मिले हैं। यह सुराग व्हाट्सएप समूहों में की गई बातचीत और वॉयस मैसेज रिकॉर्ड्स के जरिए हाथ लगे हैं, जो जांच एजेंसी की आशंकाओं को और पुख्ता करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, व्हाट्सएप चैट्स से यह स्पष्ट हुआ है कि कोलकाता से हवाला के ज़रिए भेजी गई रकम पड़ोसी बांग्लादेश में किन लोगों तक पहुंची। अब ईडी यह जांच कर रही है कि क्या यह रकम आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रयुक्त की गई थी।

ईडी के हाथ लगे मोबाइल फोन में 20 हजार से अधिक व्यक्तिगत और समूह संपर्क मौजूद थे। इन समूहों में की गई गतिविधियां और चर्चाएं बेहद संदिग्ध पाई गई हैं। साथ ही, कुछ वॉयस मैसेज रिकॉर्ड भी बरामद हुए हैं, जो आज़ाद के आतंकी कनेक्शन की ओर इशारा करते हैं।

गौरतलब है कि अप्रैल में गिरफ्तार किए गए आज़ाद मलिक के पास से जब्त दस्तावेज़ों से खुलासा हुआ था कि वह मूल रूप से पाकिस्तानी नागरिक है, जिसने पहले फर्जी तरीके से बांग्लादेशी नागरिकता प्राप्त की और फिर भारत में फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए पहचान बनाई। पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी और जन्म प्रमाणपत्र जैसे कई फर्जी दस्तावेज़ बरामद किए गए।

जांच में सामने आया कि पाकिस्तान में उसका नाम आज़ाद हुसैन था, जिसे बदल कर बांग्लादेश की नागरिकता लेते वक्त अहमद हुसैन आज़ाद कर दिया गया। बाद में भारतीय पासपोर्ट बनवाते समय उसने अपना नाम आज़ाद मलिक दर्ज करवाया। वह कोलकाता में ‘मलिक ट्रेडिंग कॉरपोरेशन’ के नाम से कारोबार कर रहा था और वहीं से हवाला का संचालन कर रहा था। साथ ही, बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पासपोर्ट उपलब्ध कराने वाले नेटवर्क का भी हिस्सा था।

ईडी ने आज़ाद की 2.62 करोड़ रुपये जमा वाली एक बैंक खाता भी फ्रीज़ कर दी है। गुरुवार को ईडी ने अदालत से उसकी हिरासत पांच दिनों के लिए और बढ़ाने की मांग की, ताकि उससे आगे की पूछताछ की जा सके।