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कोलकाता, 17 दिसंबर

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाकिस्तानी नागरिक को फर्जी भारतीय दस्तावेज उपलब्ध कराने के मामले में इंदुभूषण हलदार उर्फ दुलाल और चार अन्य आरोपितों के खिलाफ पहली पूरक चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट कोलकाता की विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम अदालत में दायर की गई है।

ईडी के अनुसार, ताजा जांच के दौरान ऐसे नए दस्तावेज सामने आए, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तानी नागरिक अजाद मलिक भारत में फर्जी पहचान के सहारे रह रहा था। उसका असली नाम अजाद मलिक है, जिसने खुद को मोना मलिक का बेटा बताकर भारतीय दस्तावेज हासिल किए। जांच में सामने आया है कि अजाद मलिक ने इंदुभूषण हलदार के साथ मिलीभगत कर बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के लिए मोटी रकम लेकर आधार कार्ड, पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसे भारतीय पहचान पत्र बनवाए।

ईडी ने बुधवार सुबह अपने बयान में बताया कि पाकिस्तानी नागरिक को 15 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 13 अक्टूबर को इंदुभूषण हलदार से भी पूछताछ शुरू की गई। फिलहाल दोनों आरोपित न्यायिक हिरासत में हैं।

जांच के दौरान ईडी ने अजाद मलिक से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकॉर्ड जब्त किए गए। जांच में यह भी सामने आया कि अजाद मलिक ने अपने साथियों की मदद से जाली जानकारियों के आधार पर कई भारतीय पहचान पत्र बनवाए। इसके साथ ही वह भारत और बांग्लादेश के बीच अवैध सीमा पार लेनदेन के लिए हवाला नेटवर्क भी चला रहा था। वह नकद और यूपीआई के जरिये पैसे इकट्ठा करता था और फिर बांग्लादेश में बीकैश जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से रकम भेजी जाती थी।

ईडी के मुताबिक, अजाद मलिक ने इंदुभूषण हलदार की मदद से फर्जी पहचान के आधार पर अपना भारतीय पासपोर्ट भी नवीनीकरण कराया। हलदार ही बांग्लादेशी ग्राहकों को जाली दस्तावेज उपलब्ध कराता था। जांच में पता चला है कि सभी भारतीय दस्तावेज बनवाने के लिए करीब 50 हजार रुपये वसूले जाते थे। दोनों ने मिलकर करीब 300 से 400 पासपोर्ट आवेदनों में मदद की।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि 29 पासपोर्ट आवेदनों में इंदुभूषण हलदार ने आयकर रिटर्न और कर भुगतान की जो रसीदें जमा की थीं, वे सभी एक जैसी थीं और उन पर आयकर विभाग की कोई मुहर नहीं थी। इससे साफ हो गया कि ये दस्तावेज पासपोर्ट हासिल करने के उद्देश्य से जाली तरीके से तैयार किए गए थे।

ईडी की जांच में कई पासपोर्ट आवेदनों में गंभीर विसंगतियां भी सामने आईं। एक मामले में दो भाइयों की जन्मतिथि में केवल तीन महीने का अंतर दिखाया गया, जो जैविक रूप से असंभव है। एक अन्य मामले में दो भाइयों की जन्मतिथियों में सिर्फ सात महीने का अंतर पाया गया, जिसे भी संदिग्ध माना गया। इसके अलावा, ऐसे ही एक मामले में एक व्यक्ति के पास बांग्लादेश का राष्ट्रीय पहचान पत्र मिला, जिसमें उसे ढाका, बांग्लादेश का निवासी बताया गया है।

जांच में यह भी सामने आया कि गोल्डनाइज फॉरेक्स एंड ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी और उसके निदेशक भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध विदेशी मुद्रा कारोबार में शामिल थे। कंपनी ने यह जानते हुए भी कि अजाद मलिक भारतीय नागरिक नहीं है, उसे फॉरेक्स काउंटर संचालित करने की अनुमति दी। वह बिना किसी वैध दस्तावेज के खुलेआम विदेशी मुद्रा बेचता था और इसके बदले कमीशन लेता था।

ईडी के अनुसार, अन्य लाइसेंस प्राप्त मुद्रा विनिमय संस्थानों या अधिकृत बैंकों से विदेशी मुद्रा खरीदने के बाद अजाद मलिक, गोल्डनाइज फॉरेक्स एंड ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशक इसे घरेलू बाजार में अवैध तरीके से बेचते थे। इस पूरे मामले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की संभावना है।