नई दिल्ली, 31 जनवरी । काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के ग्रोथ एंड इंस्टीट्यूशनल एडवांसमेंट के निदेशक डॉ. ध्रुबा पुरकायस्थ ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण भारत की एक मजबूत समग्र आर्थिक स्थिति की तस्वीर पेश करता है। निरंतर वृद्धि, कम चालू खाता घाटा, सुव्यस्थित पूंजीकृत बैंकिंग सिस्टम और स्थिर ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल निर्माण सहित प्रमुख संकेतक इस मजबूती की तरफ इशारा करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में जारी संरचनात्मक बदलाव देश को एक विकसित देश ‘विकसित भारत’ बनने की दिशा में आगे बढ़ने में अतिरिक्त रूप से मददगार हैं। इस सकारात्मक आर्थिक पृष्ठभूमि को देखते हुए, भारत 2030 से पहले अपने एनडीसी (एनडीसी) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक अच्छी स्थिति में है। आर्थिक सर्वेक्षण की समीक्षा करते हुए डॉ ध्रुवा ने कहा कि सर्वेक्षण में जलवायु अनुकूलन की तरफ सार्वजनिक नीति का ध्यान स्थानांतरित करने पर जोर दिया जाना सामयिक और प्रासंगिक है। विशेष तौर पर, जलवायु से संबंधित आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और गंभीरता को देखते हुए,इस मार्गदर्शन से सार्वजनिक वित्त में अनुकूलन और लचीलापन उपायों की दिशा में एक अत्यंत जरूरी बदलाव आने की उम्मीद है।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की दिशा अग्रवाल ने कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 और वित्त वर्ष 2019-20 के बीच, भारत की बिजली की मांग 4.4 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़ी है। हालांकि कोविड-19 के बाद 2022 से, बिजली की मांग बहुत तेजी से,सालाना 8-10 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। सौर व पवन परियोजनाएं तेजी से बढ़ती इस मांग को पूरा कर सकती हैं क्योंकि इन्हें एक साल से भी कम समय में स्थापित किया जा सकता है। ये भारत के लिए सबसे किफायती विकल्प भी हैं। स्थापित होने वाली अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा प्रति वर्ष बढ़ने वाली बिजली की मांग का एक तिहाई हिस्सा ही पूरा कर रही है, इसलिए हमें अक्षय ऊर्जा स्थापित करने की मौजूदा दर काफी बढ़ाने की जरूरत है। भारत के पास अपनी सौर और पवन क्षमता को 1500 गीगावाट तक बढ़ाने की क्षमता मौजूद है, जो मौजूदा स्थापित क्षमता का 10 गुना है। इस स्तर तक पहुंचने के लिए केंद्र और राज्यों को भूमि अधिग्रहण, ट्रांसमिशन लाइन के बुनियादी ढांचे के समय पर निर्माण और सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।