श्रद्धालुओं के लिए मददगार बन रहे संघ के स्वयंसेवक
महाकुम्भ नगर, 31 जनवरी प्रयागराज महाकुम्भ एक ऐसा पावन अवसर, जहां अध्यात्म, आस्था और समर्पण की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। गंगा, यमुना और अन्त: सलिला सरस्वती के पवित्र संगम पर करोड़ों श्रद्धालुओं का सैलाब है और इस महासंगम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई हजार स्वयंसेवक निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संघ का मानना है कि महाकुम्भ एक राष्ट्रीय आयोजन है और इसमें सभी को अपना योगदान देना चाहिए।
पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रचार प्रमुख सुभाष कुमार ने बताया कि श्रद्धालुओं की सेवा में काशी प्रान्त के करीब 15 हजार स्वयंसेवक जुटे हुए हैं। ये स्वयंसेवक श्रद्धालुओं को विभिन्न मार्गो पर भोजन व जलपान करा रहे हैं। बुजुर्ग श्रद्धालुओं को नि:शुल्क स्कूटी सेवा के जरिए मेला क्षेत्र में पहुंचा रहे हैं। मेले में खोये हुए परिजनों को मिलवा रहे हैं। खोये हुए श्रद्धालुओं को मिलवाने के लिए एक ‘वाट्सग्रुप’ बना हुआ है, जिसमें देशभर के स्वयंसेवक जुड़े हुए हैं। जो भी श्रद्धालु मेले में अपने परिजनों से बिछुड़ गए हैं, उनकी फोटो व पता उस ग्रुप में डाला जाता है, फिर संबंधित राज्य व जिले के स्वयंसेवक उनके बारें में पता करके जो सूचनाएं देते हैं, उसके आधार पर हजारों भूले श्रद्धालुओं को परिजनों को मिलवाया गया है।
उन्होंने बताया कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह मानवता की सेवा और समर्पण का भी प्रतीक है। ऐसे में जब लाखों-करोड़ों श्रद्धालु संगम स्नान और धार्मिक अनुष्ठान करने आते हैं तो सुव्यवस्थित ट्रैफिक, भोजन व जलपान के साथ सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। सेवा कार्य में संघ के स्वयंसेवक पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं। ये स्वयंसेवक प्रयागराज के विभिन्न चौराहों और रास्तों पर तैनात होकर श्रद्धालुओं को सही दिशा दिखा रहे हैं। उन्हें भीड़भाड़ वाले रास्तों से बचाकर सुगम मार्ग पर भेज रहे हैं और ट्रैफिक नियंत्रण में पुलिस की मदद कर रहे हैं। यह न केवल एक सेवा कार्य है, बल्कि स्वयंसेवकों के संगठनात्मक कौशल, अनुशासन और राष्ट्रसेवा की भावना का भी उत्कृष्ट उदाहरण है।
काशी प्रान्त के सह प्रान्त कार्यवाह डॉ. राकेश तिवारी ने बताया कि महाकुम्भ में देशभर से सभी दिशाओं से लाखों श्रद्धालु आ रहे हैं। उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो और सुगमता से महाकुम्भ पहुंचें, इसके लिए स्वयंसेवकों की टोली काशी प्रान्त के कई जनपदों में सेवा कार्य में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि हजारों स्वयंसेवक प्रयागराज के अलावा काशी, मीरजापुर, संतरविदास नगर, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, रायबरेली जैसे कई अन्य जनपदों में श्रद्धालुओं को भोजन, चाय व जलपान कराने के बाद गतंव्य की ओर रवाना कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के लिए स्वयंसेवकों की ओर से भण्डारे भी चलाए जा रहे हैं।
संगम तट पर राष्ट्रसेवा की अलौकिक छटा कुम्भ का मेला भले ही आध्यात्मिकता का केंद्र हो, लेकिन इसके सफल आयोजन के पीछे अनेक हाथों का सहयोग होता है। इन स्वयंसेवकों का अनुशासन, समर्पण और सेवा भाव उन्हें इस कार्य के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाता है। वे बिना किसी लालसा के, बिना किसी स्वार्थ के, सिर्फ समाज और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कार्यरत हैं। यह दृश्य देखकर हर भक्त का हृदय श्रद्धा से भर उठता है।
सेवा और समर्पण की प्रेरणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह योगदान केवल कुम्भ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है। समाज सेवा और राष्ट्रभक्ति के मूल मंत्र को लेकर यह स्वयंसेवक समाज के हर वर्ग को प्रेरित करते हैं। वे दिखाते हैं कि बिना किसी पद या विशेषाधिकार की अपेक्षा किए भी समाज की सेवा संभव है। महाकुम्भ में संघ के स्वयंसेवकों की यह सेवा केवल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने का एक प्रयास नहीं है, बल्कि यह सेवा, समर्पण और संस्कार का एक आदर्श उदाहरण भी है। यह वे लोग हैं जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हैं और हर परिस्थिति में सेवा के लिए तत्पर रहते हैं। जब महाकुम्भ के महासंगम में आस्था की डुबकी लगती है, तब इन स्वयंसेवकों का यह सेवा भाव भी उस पुण्य की धारा में बहता है जो मानवता को प्रेम, समर्पण और कर्तव्यपरायणता का संदेश दे रही है।
विशेष सहायता से प्रसन्न हैं श्रद्धालुमहाकुम्भ जैसी भीड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं की सहायता के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने प्रशासन के साथ मिलकर सेवा कार्यों की पहल की है। संघ के स्वयंसेवक रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, प्रयागराज में प्रवेश के सभी मार्गोंं, खोया-पाया केन्द्रों पर तैनात हैं। ये स्वयंसेवक श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचने के साथ ही भूले-भटके श्रद्धालुओं को परिजनों से मिलवा रहे हैं। स्वयंसेवक श्रद्धालुओं को किस साधन से किस दिशा में जाना है, इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं। ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत में स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा से प्रभावित श्रद्धालुओं ने उनकी सराहना की। संघ के कार्यकर्ताओं ने साबित कर दिया कि समाज सेवा और आपसी सहयोग से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।———