
बीकानेर, 4 सितम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर ने बीकानेर की ढढ्ढा कोटड़ी में बुधवार को चातुर्मासिक प्रवचन कहा कि ’’कम खाना, गम खाना, नम जाना जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्त है। गणिवर्य के सान्निध्य में तपस्वी व बाल मुनि मीत प्रभ सागर के सांसारिक परिजनों का अभिनंदन किया गया।
गणिवर्य श्री ने कहा कि भूख से कम खाने पर बीमारियां कम होगी, नम जाने यानि झुक जाने से आदर मिलेगा तथा गम खाने से राग-द्वेष, झगड़ा व तनाव कम होगा।
उन्होंने कहा कि संसार में मनुष्य जीवन,परमात्मा की वाणी, आत्म व परमात्म पर विश्वास, अंतर में परमात्मा के प्रति श्रद्धा दुर्लभता से मिलती है। पुण्य से मिले मानव शरीर का उपयोग परमात्म वाणी को सुनकर उनके अनुसार जीवन बनाने के लिए पुरुषार्थ करें।
वीर दादा, माता पिता व तपस्वी अभिनंदन
गणिवर्य, मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में बुधवार को ढढ्ढा कोटड़ी में बीकानेर में चातुर्मास कर रहे बाल मुनि मीत प्रभ सागर के दादा फलौदी मूल के वेलूर ’’चेन्नई’ निवासी प्रसन्न चंद गुलेछा, पिता सुनील, माता अनुराधा, चाचा नरेन्द्र व छोटे भाई नैतिक व हीरा गुलेच्छा का अभिनंदन श्री संघ की ओर से हीरालाल गोलछा, शांति लाल कोठारी, प्रकाश पारख, इंजीनियर अशोक पारख व कृष्ण लूणिया, खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के उपाध्यक्ष कमल सेठिया ने किया।
वहीं झझू मूल की गंगाशहर निवासी आठ दिन की तपस्वी रेखा सेठिया पत्नी राहुल का अभिनंदन संगीता कोठारी, चन्द्रा देवी डागा, खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर इकाई की अध्यक्ष मनीषा खजांची व मंत्री लीला बेगानी ने तथा जैसलमेर के पवन कोठारी, खापर, महाराष्ट्र के अरविंद जैन का अभिनंदन, ओम प्रकाश कोठारी व नरेश भंडारी ने किया।