कोलकाता, 17 जुलाई। दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी), स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना, को कॉर्पोरेटाइज किया जाएगा। इसे ट्रांसमिशन, जनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तीन इकाइयों में विभाजित किया जाएगा ताकि उच्च दक्षता प्राप्त की जा सके।
एक आधिकारिक सूत्र ने बुधवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने डीवीसी मुख्यालय में एक समीक्षा बैठक के दौरान इस प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। खट्टर फिलहाल भाजपा की कार्यकारिणी बैठक के लिए कोलकाता में मौजूद हैं।
मंत्री ने बोर्ड को विस्तार योजनाओं के लिए संसाधन जुटाने हेतु आईपीओ मार्ग का भी सुझाव दिया। डीवीसी बिजली मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
1948 में स्थापित, डीवीसी पश्चिम बंगाल और झारखंड में 24 हजार 235 वर्ग किमी के कमांड एरिया में फैला हुआ एकीकृत पावर प्रमुख है।
डीवीसी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार ने समीक्षा बैठक के बाद बताया, “कॉर्पोरेटाइजेशन की योजना एजेंडे में थी, लेकिन मंत्री ने इस प्रक्रिया को तेज करने की इच्छा जताई। केंद्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड सरकारों के बीच मौजूदा शेयरहोल्डिंग बरकरार रहेगा।”
सूत्रों के अनुसार, केंद्र और दोनों राज्यों की रुचि लगभग समान है। डीवीसी लगभग 10 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसमें 3,720 मेगावाट थर्मल पावर, चार हजार मेगावाट सोलर पावर और दो हजार 500 मेगावाट पंप स्टोरेज पावर प्लांट शामिल हैं। इसकी कुल कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) का अनुमान 50-60 हजार करोड़ रुपये के बीच है।
डीवीसी की मौजूदा स्थापित क्षमता लगभग छह हजार 700 मेगावाट है, जिसमें से छह हजार 540 मेगावाट थर्मल है। मंत्री ने बैठक के दौरान डीवीसी की ऊर्जा पोर्टफोलियो में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
वर्तमान में, डीवीसी के पास केवल 310 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र है जिसे एनटीपीसी के साथ मिलकर कार्यान्वित किया जा रहा है।