नई दिल्ली, 10 फ़रवरी । आम आदमी पार्टी (आआपा) के सांसद संजय सिंह ने आज राज्यसभा में कोल इंडिया लिमिटेड के गंभीर बीमारियों से ग्रसित कर्मचारियों के आश्रितों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के गंभीर बीमारी से ग्रसित कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी नहीं मिल पा रही है, क्योंकि सात साल से इसके लिए गठित मेडिकल बोर्ड काम नहीं कर रहा है।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान संजय सिंह ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि राष्ट्रीय कोयला वेज एग्रीमेंट (एनसीडब्ल्यूए) की धारा 9.4.0 के तहत गंभीर रूप से बीमार कर्मचारियों को अयोग्य घोषित कर उनके आश्रितों को नौकरी देने का प्रावधान है। इसके बावजूद केंद्र सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। 2017 और 2023 के वेज बोर्ड के आश्वासनों के बावजूद हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों को न्याय नहीं मिला। केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि इस गंभीर मुद्दे का तत्काल समाधान किया जाए।
संजय सिंह ने कहा कि थर्मल पावर प्लांट के माध्यम से देशभर में जो बिजली की आपूर्ति होती है उसे संचालित करने में कोल इंडिया और उसके मजदूरों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। कोरोना काल में भी कोल इंडिया ने अपना प्रोडक्शन बंद नहीं किया और मजदूरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर देश में बिजली की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए काम किया।
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया का खुद अपना राष्ट्रीय वेतन अधिनियम है, जिसके क्लॉज 9.4 में कहा गया है कि अगर कोई मजदूर कोल इंडिया में काम करते-करते कैंसर, लीवर, किडनी इत्यादि से गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो उनके आश्रितों को नौकरी दी जाएगी। इसके लिए कोल इंडिया का मेडिकल बोर्ड चिकित्सीय परीक्षण करेगा। इसके बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 18 नवंबर 2017 से अधिक का समय हो गया है लेकिन आज तक वह मेडिकल बोर्ड काम नहीं कर रहा है।
संजय सिंह ने कहा कि कोल इंडिया के मजदूरों ने इसके लिए कई बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय कोयला मंत्री को कई बार प्रार्थना पत्र लिखा लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मैं सरकार से यह अनुरोध करना चाहता हूं कि जब इन मजदूरों के लिए वेतन अधिनियम बनाया गया है और यह नियम है कि मेडिकल बोर्ड गंभीर रूप से बीमार होने वाले मजदूरों का चेकअप करेगा और उनके आश्रितों को नौकरी दी जाएगी, तो सात साल से उस मेडिकल बोर्ड को क्यों बंद रखा गया है? इसकी जांच होनी चाहिए और उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही जो लोग राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर चुके हैं, उनकी तकलीफों पर ध्यान दिया जाए। उनकी मेडिकल जांच कराकर उनके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। उनको कोल इंडिया में नौकरी प्रदान की जाए।