नई दिल्ली, 08 फ़रवरी । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 में पीएम युवा 2.0 योजना के तहत 41 नई पुस्तकों का विमोचन किया। त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी नल्लू कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने उन 41 युवा लेखकों को बधाई दी जिनकी पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। उनकी क्षमता पर विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लेखनी और रचनात्मकता साहित्यिक परिदृश्य को समृद्ध करेगी और बौद्धिक विमर्श को एक नई दिशा प्रदान करेगी। प्रधान
ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री युवा योजना की संकल्पना की और इसे राष्ट्रीय आंदोलन में बदलने पर प्रकाश डाला। उन्होंने उभरते लेखकों को मार्गदर्शन देने और उनका पोषण करने, भारतीय संस्कृति, विरासत, इतिहास, भाषाओं तथा साहित्य के गौरवशाली राजदूतों को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की कहानियों को प्रकाश में लाने में इसके महत्वपूर्ण प्रभाव पर जोर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश भर में भारतीय भाषाओं में पुस्तकों को बढ़ावा देना एक राष्ट्रीय मिशन है। उन्होंने पीएम युवा जैसी पहलों को इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस साल के बजट में हाल ही में घोषित भारतीय भाषा पुस्तक योजना इस राष्ट्रीय प्रयास को गति देगी। भारतीय भाषाओं में पुस्तकों और साहित्य को सुलभ बनाने में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने संस्था से प्रौद्योगिकी को अपनाने और भारत की समृद्ध साहित्यिक विरासत और भाषाई परंपराओं को वैश्विक दर्शकों तक ले जाने के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया।
प्रधान ने प्रदर्शनी हॉल का भी दौरा किया और दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से एक के आयोजन के लिए एनबीटी को बधाई दी। उन्होंने इसे साहित्य, भाषा, ज्ञान, लोगों और संस्कृतियों का ज्ञान-कुंभ बताते हुए मेले को पाठकों का स्वर्ग बताया जो नई पुस्तकों की खोज करने, साहित्य में डूबने, लेखकों से मिलने और साथी पुस्तक प्रेमियों से जुड़ने के लिए एक आदर्श मंच है।
इसके अलावा, प्रधान ने द सागा ऑफ कुडोपाली: द अनसंग स्टोरी ऑफ 1857 का हिंदी संस्करण भी जारी किया। उन्होंने घोषणा की कि यह पुस्तक जल्द ही 12 भारतीय और दो विदेशी भाषाओं में उपलब्ध होगी, जिससे इसकी व्यापक पहुंच और गहरा प्रभाव सुनिश्चित होगा। उन्होंने 14वीं सदी के गणितज्ञ और खगोलशास्त्री माधव की कृतियों का मलयालम अनुवाद संगमा माधवंते रंडू कृतिकल भी जारी किया।