धार, 22 मार्च (हि.स.)। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला का ज्ञानवापी की तर्ज पर एएसआई सर्वे शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गया है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की सर्वे टीम सुबह छह बजे भोजशाला परिसर में पहुंची। दोपहर में नमाज से पहले सर्वे टीम भोजशाला परिसर से बाहर आ गई।

याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि एएसआई द्वारा दोपहर 12:00 बजे तक सर्वे का काम पूरा हो चुका है। अब अगले दिन यानी शनिवार को सर्वे दोबारा शुरू होगा। पहले दिन प्रारंभिक तौर पर सर्वे का काम किया गया है। शुक्रवार की नमाज से पहले सर्वे काम पूरा किया गया।

याचिकाकर्ता गोयल ने बताया कि भोजशाला में शुक्रवार सुबह 6:21 बजे एएसआई के पांच सदस्यों की टीम द्वारा सर्वे का काम शुरू किया गया। सुबह टीम के साथ 20 से 25 श्रमिकों को भी अंदर भेजा गया। इसी के साथ उपकरण भी अंदर भेजे गए। दोपहर 12:00 तक पहले दिन का सर्वे का काम हुआ है। इसमें प्राथमिक तौर पर भोजशाला में सर्वे किया गया है। चिन्हों की वीडियो व फोटोग्राफी करने के साथ सर्वे के लिए आगामी दिनों की रूपरेखा तैयार की गई। नवीन तकनीक के आधार पर सर्वे का काम हो रहा है।

वहीं हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने बताया कि प्रारंभिक तौर पर भोजशाला का सर्वे किया गया है। इसमें टीम द्वारा फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई है। साथ ही चिन्हों को नोट किया गया है। आज उन्होंने प्रारंभिक बेस बनाया है। आज का जो सर्वे था वह समाप्त हो गया है। अब शनिवार सुबह से सर्वे होगा। उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष की ओर से कोई भी मौजूद नहीं था।

इधर, ऐतिहासिक भोजशाला में सर्वे पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष को फिलहाल राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में पहले से ही काफी काम पेंडिंग है। इससे इस मामले पर तुरंत सुनवाई होना संभव नहीं है। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने यह याचिका दाखिल की थी, जिसमें सर्वे से जुड़े उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक की मांग की गई थी।

भोजशाला परिसर में एएसआई के सर्वेक्षण की शुरुआत पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इंदौर उच्च न्यायालय के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के फैसले के अनुपालन में आज एएसआई ने अपना सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार दिया।

इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का कहना है कि सर्वे की शुरुआत के बाद यह स्थिति स्पष्ट होगी कि यह कितने दिन चलेगा। इसकी वजह यह है कि सर्वे करने के लिए कौन-कौन सी तकनीक या विशेषज्ञ की आवश्यकता होगी। यह पता लगाया जाएगा। कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसका पालन किया जा रहा है। ये विशेषज्ञ तय कर पाएंगे कि किस तरह से सर्वे को आग बढ़ाया जाए। तकनीकी विशेषज्ञ तय करेंगे कि उन्हें खुदाई आदि को लेकर आगे क्या करना है। किस तरह प्रमाण एकत्रित करना है। सर्वे का पहला दिन इस लिहाज से खास रहा।

 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि जैसे-जैसे आवश्यकता होगी, वैसे-वैसे उपकरण भी यहां लाए जाएंगे। साथ ही सर्वे में जिन विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी, उन विशेषज्ञों को भी तैनात किया जाएगा।