देहरादून, 08 मई। धामी सरकार चारधाम यात्रा के बेहतर संचालन और वनाग्नि घटनाओं को रोकथाम को लेकर और सख्त हो गई है। इसी के तहत मुख्यमंत्री बुधवार को सचिवालय में वनाग्नि नियंत्रण के संबंध में पूर्व में दिए गए निर्देशों की समीक्षा करते हुए लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के 17 अधिकारियों/कार्मिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की।
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वनाग्नि,चारधाम, आगामी मानसून को लेकर पूर्व और आगामी तैयारियों को लेकर बैठक की। इसके बाद मुख्यमंत्री धामी पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वन विभाग और स्थानीय लोगों के सहयोग से काफ़ी हद तक वनाग्नि पर काबू पाया जा चुका है और जल्द ही हम जंगल की आग को पूरी तरह बुझाने में कामयाब हो रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि सभी अपने-अपने क्षेत्र की मॉनिटरिंग करने का काम करें।
मुख्यमंत्री धामी ने फायर स्टेशनों पर वनाग्नि की सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने और इसकी तत्काल सूचना डीएफओ, सीसीएफ, पीसीसीएफ के कंट्रोल रूम में दिए जाने की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल को एकत्रित करने के लिए ”पिरूल लाओ-पैसे पाओ” मिशन को शुरू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में मानसून सीजन शुरू होने के साथ ही भूस्खलन की समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसको देखते हुए आज आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है और उन्हें निर्देशित किया है कि बरसात से पहले वह अपनी तैयारी को पूरा करने का काम करें। साथ ही मानसून सीजन के दृष्टिगत कम से कम रिस्पॉन्स टाइम के साथ राहत और बचाव कार्य शुरू करने और इस अवधि में सड़क, बिजली एवं पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों के लिए खाद्य सामग्री, दवाओं एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की पूर्ण व्यवस्था अभी से सुनिश्चित की जाएगी।
श्रद्धालु पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश लेकर जाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि 10 मई से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू हो रही है। इसको लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की गई है। साथ ही अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना आने पाए। यात्रा को सुगम एवं सुरक्षित करने के तहत अधिकारियों को यात्रा की साप्ताहिक समीक्षा करने के साथ ही श्रद्धालुओं की सुविधाओं के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के निर्देश दिए। चारधाम यात्रा मार्गों पर प्लास्टिक और अपशिष्ट प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी, जिससे यहां आने वाला प्रत्येक श्रद्धालु पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश लेकर जाएगा।